रोडवेज कर्मी की हत्या के विरोध में डिपो चालक-परिचालक बैठे हड़ताल पर, निजी वाहन चालक वसूल रहे मनमाने पैसे
करनाल: बस स्टैंड पर धरने पर बैठे रोडवेज कर्मचारी।बीती मंगलवार को कुंडली में थार जीप पर सवार असामाजिक तत्वों द्वारा रोडवेजकर्मी की कुचलकर हत्या के विरोध में प्रदेशभर के रोडवेज कर्मचारियों ने चक्का जाम कर दिया। रोडवेज के पहिए थमने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा, वहीं रोडवेज चालक-परिचालकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, सरकार से मांग कि रोडवेजकर्मी जगवीर की हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें अन्यथा अनिश्चितकाल के लिए चक्का जाम कर दिया जाएगा।बसो के लिए बस स्टैंड पर घुमती सवारियां।सरकार को दी चेतावनीरोडवेज यूनियन के महा सचिव कर्मबीर नरवाल ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दे साथ ही एक सरकारी नौकरी दी जाए। उन्होंने सरकार पर बरसते हुए कहा कि प्रदेश में क्राइम की स्थिति अनकंट्रोल हो चुकी है, दिन दहाड़े लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।3 दिनों से मृतक का परिवार मांग रहा न्याय..पुलिस प्रशासन ने एक नहीं सूनीकरनाल डिपो पर धरने पर बैठे सांझा मोर्चा के सदस्य ने बताया कि रोडवेज कर्मी की 6 सितम्बर को हत्या कर दी गई, मृतक के बेटे ने भी न्याय न मिलने पर जहरीला पदार्थ निगल लिया, उसकी बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। परिवार 3 दिनों से धरना प्रदर्शन न्याय मांग रहा है। हत्यारोपी जेल के बाहर है। उन्होंने कहा कि मृतक को न्याय न मिलता देखकर प्रदेशभर के सभी डिपो कर्मचारियों ने एकजुट होकर पीड़ित के परिवार को न्याय दिलाने के लिए चक्का जाम का ऐलान किया है। अगर सरकार अब भी नहीं चेती तो आंदोलन अनिश्चितकालीन भी हो सकता है।बस स्टैंड से बाहर जाते यात्री।सार्वजनिक सेवा पहले ही बदहाल.. यात्री रहते है परेशानबता दे कि जिलावासी पहले से ही बसों की भारी कमी झेल रहे है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है कि किसी भी यात्री को समय पर सार्वजनिक बस सेवा उपलब्ध नहीं होती। यात्रियों को बस स्टैंड सहित सड़कों पर एक-2 घंटे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है, कई बार तो बस तक उपलब्ध नहीं होती।करीब 105 बसों के सहारे 15 लाख की जनसंख्याडिपो से मिले आकड़ों अनुसार डिपों के बेड़े में करीब 105 बसें है, इनमें से प्रतिदिन 5 से 8 बसें खराब खड़ी रहती है, जिनकी समय पर मरम्मत तक नहीं हो पाती। सच्चाई का पता इसी से लगा सकते है कि सड़कों पर दौड़ने वाली करीब 100 बसे किस तरह से जिले की 15 लाख जनसंख्या को बेहतर आवागमन की सुविधा उपलब्ध करा पाती होती। डिपो के बेड़े में दिन प्रतिदिन बसों की भारी कमी होती जा रही है, जबकि नई बसें आने की उम्मीद न के बराबर बनी रहती है। नार्म की बात करें तो डिपो के बेड़े में 250 बसें होनी चाहिए, जबकि चलती सिर्फ 100 है।बाहर सड़क पर खड़ी निजी बसे।ग्रामीण रूटों पर डिपो की बसे लगभग गायबडिपो द्वारा उपलब्ध कराई बस सेवा की बात करें तो चल रही 100 बसों में से अधिकांश बसें लम्बे रूटों पर चलाई जा रही है, जबकि ग्रामीण रूटों को एक प्रकार से लावारिस छोड़ दिया है। कभी बस आती है तो कभी नहीं। यात्री सड़कों पर बसों के इंतजार करते हुए देखना आम बात हो चुकी है।वसूले जा रहे मनमाने पैसे..शिकायत करें भी किससेचक्का जाम के चलते यात्रियों से दूसरे वाहन चालक मनमाने पैसे वसूल कर रहे है, यूं कहे कि किराया 3-4 गुणा तक बढ़ा दिया है, यहीं नहीं कई वाहन चालक तो यात्रियों से बहस करते भी देखें गए। जो यात्रियों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं। यात्री दुखी मन से वाहन चालकों को ज्यादा किराया देने को विवश है। हैरानी की बात ये कि यात्री ज्यादा किराया वसूलने की शिकायत तक नहीं कर सकते, क्योंकि उनकी कोई सुनने वाला नहीं। सच्चाई ये है कि रोडवेज के कम होता बेड़ा ओर होने वाली हड़तालों का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। जो उनकी मुसीबत बढ़ाने वाला होता है।कर्मचारियों से बातचीत करते रोडवेज जी.एम।वर्जनरोडवेज GM कुलदीप सिंह ने बताया कि चक्का जाम पर बैठे कर्मचारियों से बात की गई। अधिकारियों से बात हुई है कि आरोपी पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रख दिया गया है। वहीं विभाग के अधिकारी की पुलिस प्रशासन के साथ मीटिंग चल रही है। जल्द ही समाधान निकल जाएगा।