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महाराज विभूति नारायण सिंह ने किया था स्वागत; 7 साल पहले PM मोदी ने भेंट की थी बनारसी शॉल

वाराणसी: महारानी एलिजाबेथ-II का वर्ष 1961 में काशी में शाही स्वागत किया गया था। तत्कालीन महाराजा विभूति नारायण सिंह के साथ ही पूरी काशी महारानी के स्वागत के लिए सड़कों पर उमड़ पड़ी थी।ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II ने 96 वर्ष की उम्र में स्कॉटलैंड में आखिरी सांस ली। महारानी एलिजाबेथ-II का काशी से भी खास लगाव रहा है। वर्ष 1961 की जनवरी-फरवरी में भारत यात्रा के दौरान वह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ बनारस आई थीं।यहां उनका स्वागत काशी नरेश महाराजा विभूति नारायण सिंह ने किया था। हाथी पर चांदी के हौदे में महारानी एलिजाबेथ-II को बैठा कर महाराजा विभूति नारायण सिंह ने रामनगर स्थित किले से पूरे शहर का भ्रमण कराया था। इसके साथ ही महारानी ने महाराज की बेंटले कार में भी सवारी की थी।काशी में महारानी एलिजाबेथ-II शाही बजड़े पर सवार होकर गंगा में नौकायन करने के साथ ही विजयानगरम पैलेस और नदेसर पैलेस भी गई थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 नवंबर 2015 को इंग्लैंड पहुंचे थे तो उन्होंने महारानी एलिजाबेथ-II को उनकी भारत यात्रा की 54 साल पुरानी फोटो और अन्य उपहारों के साथ बनारसी शॉल भी भेंट किया था।तस्वीरों में देखें महारानी एलिजाबेथ-II की काशी से जुड़ी यादें….काशी के बुजुर्ग बताते हैं कि महारानी एलिजाबेथ-II रामनगर स्थित किले से हाथी पर सवार होकर महाराजा विभूति नारायण सिंह के साथ नगर भ्रमण पर निकली थी तो उन्हें देखने के लिए हुजूम उमड़ पड़ा था। उनके रास्ते के दोनों किनारों पर खड़े काशीवासियों ने हर-हर महादेव का उद्घोष कर उनका स्वागत किया था।महारानी एलिजाबेथ-II शाही बजड़े पर सवार होकर काशी में उत्तरवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों का सौंदर्य देखते ही रह गई थी। हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं को देख कर उन्होंने महाराजा विभूति नारायण सिंह से जाना और समझा था था कि काशी को मोक्ष की नगरी क्यों कहते हैं।महारानी एलिजाबेथ-II ने महाराज विभूति नारायण सिंह से काशी की धर्म, कला और संस्कृति के साथ ही यहां के महात्म्य के बारे में समझा था। भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ के साथ ही उस समय के देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के बारे में भी उन्होंने पर्याप्त जानकारी ली थी।महारानी एलिजाबेथ-II काशी में हुए स्वागत से अभिभूत नजर आई थी। उन्होंने महाराजा विभूति नारायण सिंह से कहा था कि हिंदुस्तान के लोग अतिथियों का स्वागत बेहद ही आत्मीयता के साथ करते हैं। महारानी एलिजाबेथ-II के काशी आगमन की फोटो आज भी रामनगर स्थित किले में सहेज कर रखी हुई हैं।महारानी एलिजाबेथ-II को जम्मू-कश्मीर की शहद और दार्जिलिंग की चाय के साथ बनारसी शॉल (दाएं) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 नवंबर 2015 को उपहार में दिया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने महारानी के वर्ष 1961 के भारत दौरे की तस्वीरें भी भेंट की थी।