ब्रेकिंग
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने 21 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों को दी स्वीकृति न्यू विस्टा लिमिटेड रिसदा ने धूमधाम से मनाया 77 वा स्वतंत्रता दिवस समारोह शिवरतन शर्मा ने बघेल सरकार पर साधा निशाना, कहा- किसानों पर थोपी जा रही अमानक वर्मी खादभारतीय जनता पार्टी ने भाटापारा विधानसभा सहित प्रदेश में व्याप्त ... भाटापारा पंचशील नगर में जिला बलौदाबाजार भाटापारा कि साइबर टीम, थाना भाटापारा शहर एवम् आबकारी विभाग बलोदाबजार की संयुक्त कार्यवाही लगभग 100 नग देशी मशा... भाटापारा विधानसभा के वरिष्ठ कांग्रेसी लीडर राधेश्याम शर्मा (फग्गा) ने विधानसभा चुनाव के लिए की दावेदारी पेश नगर में अपनी मिलनसारिता, स्नेह व धार्मिक, ... किसानो के हित में समर्पित सुशील शर्मा भूपेश सरकार की योजनाओ को धरातल पर क्रियान्वयन कराने में अग्रणी भूमिका निभा रहे किसानो के हितार्थ काम कृषि ऊपज मंडी कर रही है-गिरीश देवाँगन प्रदेश में सर्वे कराना भूपेश सरकार का क्रांतिकारी कदम-सुशील शर्मा छत्तीसगढ को देश का शिखर बनाना है – ओम माथुर भाजपा की जंगी आम सभा भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जिला या निगम की बड़ी घोषणा की उम्मीद ध्वस्त,जनमानस में निराशा

बैंक अब पर्सनल गारंटर की परिसंपत्तियां बेचकर कर सकेंगे कर्ज की वसूली, गारंटी देने वालों पर भी कर्ज की अदायगी की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। दिवालिया कानून की प्रक्रिया से बचने की जुगत कर रहे कुछ कारपोरेट घरानों के नामी-गिरामी प्रवर्तकों को सुप्रीम कोर्ट ने करारा झटका दिया है। इंसाल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (IBC) से जुड़े एक मामले में शीर्ष कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कंपनियों को कर्ज दिलाने में पर्सनल गारंटी देने वाले प्रवर्तकों से भी वसूली की छूट बैंकों को दे दी।

बैंक अब कारपोरेट गारंटी देने वाले लोगों की परिसंपत्तियों को बेचकर कर्ज की वसूली कर सकेंगे। इस बारे में केंद्र सरकार ने नवंबर, 2019 में अधिसूचना जारी की थी, जिसके खिलाफ कई बड़े उद्योगपतियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें अनिल अंबानी, कपिल वधावन, संजय सिंघल, वेणुगोपाल धूत जैसे लोग शामिल हैं। इन सभी की तरफ से प्रमोटेड कंपनियों के खिलाफ आइबीसी के तहत कार्रवाई हो रही है।

दिवालिया कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आइबीसी लागू करने के संदर्भ में एक बड़ी जीत के तौर पर देख रहे हैं। देश में कोरोना की वजह से जब बैंकिग सेक्टर में फंसे कर्जों के मामले और बढ़ने के आसार हैं, तब यह फैसला ज्यादा प्रासंगिक हो गया है।

दिवालिया प्रक्रिया के कई मामलों में दिवालिया होने वाली कंपनी के प्रवर्तकों ने बैंक लोन के लिए अपनी पर्सनल गारंटी दी है। अब इन सभी से वसूली की प्रक्रिया बैंक शुरू कर सकते हैं। वसूली नहीं होने की स्थिति में उन्हें व्यक्तिगत रूप से दिवालिया घोषित किया जाएगा। अदालत ने गारंटर पर भी कंपनी की तरह ही नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया प्रक्रिया चलाने की अनुमति दी है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सिर्फ रिजोल्यूशन प्लान स्वीकृत होने का यह मतलब कदापि नहीं है कि कंपनियों को कर्ज दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पर्सनल गारंटर का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। लोन की गारंटी देने वाले को कांट्रेक्ट आफ गारंटी के दायित्व से अलग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना को वैध करार दिया है। केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ तकरीबन 75 लोगों ने याचिका दायर की थी।