प्रदेश की टूटती सांसाें काे आक्सीजन देने परिवहन व पुलिस ने बनाया मजबूत ग्रीन कॉरिडाेर
ग्वालियर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से टूटती सांसों से पूरे प्रदेश में हा-हाकर मच गया था। आक्सीजन रूपी संजीवनी को प्रदेश के हर जिले तक पहुंचाने के लिए परिवहन विभाग व पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने इसमें भरपूर मदद की। परिवहन विभाग के डिप्टी कमिश्नर अरविंद श्रीवास्तव की अन्य राज्यों से आक्सीजन लेकर प्रदेश के सभी जिलों में पहुंचाने में अहम भूमिका रही। 20 से 25 दिन पहले स्थिति थी कि आक्सीजन के अभाव में लोगों की मौत होने का सिलसिला शुरू हो गया था। इन विषम परिस्थितियों में परिवहन विभाग ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से गुजरात, झारखंड यूपी व महाराष्ट्र के प्लांटों से आक्सीजन लेकर प्रदेश के हर जिले में पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया। इसी का नतीजा है कि आज प्रदेश के हर जिले में भरपूर आक्सीजन है।
ग्वालियर-चंबल अंचल को मुख्य रूप से बोकरो, भिलाई, राउरकेला व मोदीनगर से आक्सीजन मिल रही है। आक्सीजन के टैंकर सड़क मार्ग व आक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से मिल रहे है। खाली टैंकरों को ग्वालियर विमानतल से बोकरो पहुंचाने के लिए एयरलिफ्ट कराकर रांची में उतारा जाता है। यहां से सड़क मार्ग से कंटेनर प्लांट तक पहुंचते हैं।
पहला प्रवेश द्वारः गुजरात के प्लांट से आने वाले आक्सीजन टैंकर झाबुआ स्थित पिटोल चेक पोस्ट से प्रवेश करते हैं। यहां से इंदौर व उज्जैन में आक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।
दूसरा प्रवेश द्वारः भिलाई व राउरकेला से आने वाले टैंकर खबसा बैरियर से प्रदेश में प्रवेश करते हैं। यहां से जबलपुर, रीवा, सागर व भोपाल में आक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।
तीसरा प्रवेश द्वारः मुरैना चेक पोस्ट बैरियर है। आगरा व कानपुर की तरफ से आने वाले टैंकर मुरैना चेक पोस्ट बैरियर से प्रवेश करते हैं। इनसे ग्वालियर-चंबल अंचल में आक्सीजन भेजी जाती है। इसके अलावा फूफ सहित चार अन्य प्रवेश द्वार हैं।
आक्सीजन एक्सप्रेसः इस विशेष ट्रेन से आने वाले आक्सीजन कंटेनर सबसे पहले सागर पहुंचते हैं। सागर की जरूरत को पूरा करने के बाद भोपाल में सप्लाई करते हैं। उसके बाद ललितपुर होते हुए ग्वालियर आते हैं।
इनकी प्रमुख भूमिकाः डिप्टी कमिश्नर परिवहन अरविंद सक्सेना ने बताया कि ग्वालियर-चंबल में आक्सीजन की कमी को दूर करने में दो प्रधान आरक्षक भागीरथ व एसडीएम प्रदीप तोमर ने प्रमुख निभाई है।
एसडीएम प्रदीप तोमर: खाली टैंकरों को ग्वालियर से रांची के लिए एयरलिफ्ट कराने के मामले में समन्वय की प्रमुख भूमिका निभाई है। आज भी टैंकरों को एयरलिफ्ट कराया जा रहा है।
प्रधान आरक्षक भागीरथ: डिप्टी कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने बताया एसपी अमित सांघी ने समंवयक की भूमिका के लिए प्रधान आरक्षक भागीरथ का नाम सुझाते हुए कहा था कि रैंक नहीं काम देखिए। निसंदेह प्रधान आरक्षक ने ग्वालियर-चंबल संभाग में आक्सीजन की आपूर्ति से लेकर प्लांटों तक खाली टैंकरों को समय पर भेजने में प्रमुख निभाई है। इसके साथ ही फोलो व स्क्वायड भी टैंकरों को लेने के लिए बार्डर पर पहुंचाए जाते हैं। मथुरा से पुलिस की निगरानी में टैंकर लाए जाते हैं।
डिप्टी कमिश्नर सपना जैनः इसी तरह डिप्टी कमिश्नर सपना जैन ने इंदौर व उज्जैन की आक्सीजन आपूर्ति करने में प्रमुख निभाई है। इंदौर से एयरलिफ्ट के माध्यम से जामनगर खाली टैंकर भेजने में अच्छा रोल रहा है।
मोदी नगर में डीएसपी की तैनातीः एसपी अमित सांघी ने पिछले 15 दिन से मोदीनगर में एक डीएसपी की तैनाती कर रखी है। डीएसपी का एक ही काम है, खाली टैंकरों के वहां पहुंचने के बाद उन्हें भरवाकर ग्वालियर रवाना करना और रूट की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को देना।