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कांग्रेस के दिग्गजों को गढ़ में घेरने की रणनीति बना रही भाजपा

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने मिशन 2023 के लिए अभी से कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं को उनके ही गढ़ में घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इन तीन नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ , पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोंविद सिंह शामिल हैं।  दरअसल यह वे नेता हैं, जो तमाम प्रयासों के बाद भी अपने इलाकों में अजेय बने हुए हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक इस बार पार्टी छिदवाड़ा को कांग्रेस नेता कमलनाथ से मुक्त कराकर भगवा झंडा फहराना चाहती है। इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने तीन मंत्रियों को छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी सौपने की तैयारी कर ली है। खबर है कि रणनीति के तहत कमलनाथ का प्रभाव समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार के तीन मंत्रियों के अलावा प्रदेश के प्रभारी मंत्री को इस काम में लगाने की पूरी तैयारी है।इसके तहत जहां जिला प्रभारी मंत्री कमल पटेल हर माह छिंदवाड़ा का दौरा करेंगे , तो वहीं तीनों केन्द्रीय मंत्री में से हर माह एक मंत्री विधानसभा चुनाव तक छिंदवाड़ा के प्रवास पर आएंगे। दरअसल प्रदेश का छिंदवाड़ा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का बेहद मजबूत गढ़ माना जाता है। इस लोकसभा सीट पर आज तक एक बार ही भाजपा को सफलता मिली है , जबकि जिले की विधानसभा सीटों की बात की जाए तो अधिकांश सीटों पर कमलनाथ के प्रभाव की वजह से कांग्रेस ही जीतती आ रही है। अगर बीते विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो इस जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी विजयी रहे थे। यही नहीं मुख्यमंत्री बनने के पहले तक नाथ छिंदवाड़ा सीट से लगातार सांसद निर्वाचित होते रहे हैं। उनका प्रभाव ऐसा है की संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली सातों विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस को ही विजय मिलती है। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भी यहां पर महापौर के पद पर कांग्रेस की ही जीत हुई है। खास बात यह है की मोदी लहर में भी नाथ का यह गढ़ नहीं ढह सका है। यही वजह है कि अब भाजपा अलकामान ने इस गढ़ को ढहाने का तय कर लिया है। हाल ही में भोपाल प्रवास पर आए क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल ने भी जब प्रदेश की लोकसभा और विधानसभा सीटों पर पार्टी की स्थिति की पड़ताल की, तो उसमें भी छिंदवाड़ा सहित महाकौशल क्षेत्र में पूर्व सीएम कमलनाथ के प्रभाव पर मंथन किया गया था। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र भी भाजपा के निशाने पर है।यहां से पहले दिग्विजय तो बाद में उनके पुत्र जयवर्धन दो बार से लगातार जीतते आ रहे हैं। इसके अलावा पड़ौस वाली सीट से उनके भाई लक्ष्मण सिंह विधायक निर्र्वाचित होते हैं। समय के साथ हालांकि सिंह का प्रभाव कम हुआ है , लेकिन आज भी उनका परिवार यहां पर अजेय माना जाता है। राघौगढ़ भाजपा के लिए 45 साल से मुश्किल बना हुआ है। 1977 से यह दिग्विजय का गढ़ है। तीसरे नेता है नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह।भाजपा की लहर हो या फिर कांग्रेस विरोधी, उनकी जीत में कोई फर्क नहीं पड़ता है। तमाम विरोध और राजनैतिक झंझावातों के बाद भी चुनावी परिणाम उनके ही पक्ष में आता है। वे भिंड जिले की लहार विस सीट से लगातार निर्वाचित होते आ रहे हैं। 1990 में गोविंद सिंह यहां से पहली बार विधायक बने थे , जिसके बाद से भाजपा कभी भी इस सीट पर नहीं जीत सकी है।  यही तीन बड़े चेहरे प्रदेश कांग्रेस में हैं। इनके ही जिम्मे चुनावी कमान रहने वाली है, लिहाजा भाजपा इन्हें इनके ही गढ़ों तक सीमित रखने की रणनीति पर काम कर रही है। खास बात यह है कि इस काम में भाजपा की मदद पूरी तरह से  पर्दे के पीछे से संघ भी कर रहा है।
गिरिराज सिंह आ चुके हैं छिंदवाड़ाकेन्द्रीय नेतृत्व ने छिदवाड़ा के लिए विशेष रणनीति बनाई और केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह को छिंदवाड़ा भी भेज चुकी है। उनके अलावा जिन दो अन्य मंत्रियों को छिदवाड़ा की जिम्मेदारी दी जानी है। उनके नामों की घोषणा जल्द हो सकती है। इसके बाद से केन्द्रीय मंत्रियों का फिलहाल विधानसभा चुनाव तक लगातार छिदवाड़ा का प्रवास जारी रहेगा। प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल छिंदवाड़ा के प्रभारी मंत्री हैं। उनसे भी साफ कह दिया गया है कि वे छिदवाड़ा में बीजेपी का प्रभाव बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाएं।संघ का रोडमैप तैयार: प्रदेश के कांग्रेसी गढ़ों को ढहाने के लिए संघ द्वारा अपने स्तर पर दीर्घकालीन रोडमैप तैयार किया गया है। हिन्दुत्व की राह पर संघ लंबे समय से कांग्रेस के मजबूत गढ़ों में काम कर रहा है। इसके बाद अब आदिवासी एजेंडे के तहत इसे और मजबूती देने का काम करना तय किया गया है। अब तक छिंदवाड़ा ,राघौगढ़ और लहार को भेदने में भाजपा हर बार असफल हुई है, इस कारण संघ इसे गंभीरता से लेकर काम कर रहा है। इसके तहत संघ तय किए गए इलाकों में धार्मिक-सामाजिक चेतना बढ़ाने की राह पर कदम बढ़ाएगा। इन इलाकों में प्रचारक, समयदानी और विस्तारकों के जरिए पैठ बढ़ाना तय किया है। इसी वजह से भाजपा में राष्ट्रीय-प्रादेशिक दोनों स्तर पर आदिवासी और दलितों को प्राथमिकता पर रखा जाना है। संघ भी आदिवासी समाज को प्राथमिकता पर लेकर काम कर रहा है। इसमें आदिवासियों को राम के साथ जोडऩे को लेकर दीर्घकालीन काम किया जा रहा है। इसके तहत वनवासी राम की थीम के साथ आदिवासी को राम से जोडऩे काम किया जा रहा है। इसकी दूसरी वजह है बीते चुनाव के परिणाम। इस चुनाव में आदिवासी समुदाय कांग्रेंस के साथ चला गया था , जिसकी वजह से कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो गई थी। संघ ने अपने स्तर पर ऐसे इलाकों का चयन किया है, जहां पर आदिवासी समाज कांग्रेस के साथ है, इनमें राघौगढ़, लहार, राजगढ़, नर्मदापुरम, दमोह, बैतूल, भिंड, भोजपुर, श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर, गुना, डबरा, श्योपुर, रायसेन शामिल है। खास बात यह है की संघ ने लहार को संगठन के हिसाब से संघ का जिला बनाया है।