उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा- आदिवासियों के बिना भारत की आत्मा अधूरी
महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार को जबलपुर पहुंचे। रविवार को जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अगवानी राज्यपाल मंगु भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, प्रदेश के लोक निर्माण एवं जबलपुर जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव, वीडी शर्मा, सांसद राकेश सिंह, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने की। एयरपोर्ट पर उपराष्ट्रपति धनखड़ का स्वागत मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष विनोद गोंटिया, मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष जितेंद्र जमादार, राज्य सभा सांसद सुमित्रा बाल्मीकि, विधायक अजय बिश्नोई, अशोक रोहाणी, सुशील इंदु तिवारी आदि ने किया। इस दौरान कमिश्नर बी चंद्रशेखर, आईजी उमेश जोगा, डीआईजी आरआर परिहार, कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी व पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जबलपुर के मानस भवन में आयोजित जस्टिस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में हिस्सा लिया। धनखड़ ने न्यायाधीश जेएस वर्मा की न्यायिक प्रज्ञा, ज्ञान और संवैधानिक मर्यादा को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि मेरी कई यादें जस्टिस वर्मा से जुड़ी हैं।
इसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ वेटरनरी कॉलेज में आयोजित राजा शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर बड़ी संख्या में आदिवासी भी शामिल हुए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मध्यप्रदेश की पावन धरा पर जन्मे वीर शिरोमणि राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर उन महानायकों को नमन करता हूं। ये उन जैसे बलिदानियों का ही प्रताप है कि आज हम एक स्वतंत्र भारत में सांस ले पा रहे हैं और अपनी नियती खुद तय कर पा रहे हैं। मध्य प्रदेश देश का हृदय स्थल होने है। यह जनजातीय बाहुल्य प्रदेश है। यहां की जनजातियों की बहुत समृद्ध विरासत रही है। गोंडवाना की रानी दुर्गावती के शौर्य और बलिदान को सारी दुनिया जानती है। 1857 की क्रांति में उन्हीं के वंशज रहे राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान को देश कभी नहीं भूलेगा।
हमारा विकास का मॉडल ऐसा होना चाहिए कि आदिवासी क्षेत्रों के चहुमुंखी विकास के साथ साथ उनकी प्राचीन संस्कृति भी सुरक्षित रहे। मध्य प्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। यह हर्ष का विषय है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आदिवासियों को सक्षम – समर्थ बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं।