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इंदौर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी आज से हड़ताल पर, सैंपलिंग भी होगी प्रभावित

इंदौर। इंदौर सहित प्रदेशभर के स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में शहर में कोविड की जांच, कोविड कंट्रोल रूम से मानीटरिंग व फीवर क्लीनिक पर जांच जैसे कई कार्य प्रभावित होंगे। इंदौर में वर्तमान में करीब 400 संविदा स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं। इनमें आयुष चिकित्सक, फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्निशियन व दंत चिकित्सक शामिल हैं। इनकी ड्यूटी स्वास्थ्य विभाग द्वारा रैपिड रिस्पांस टीम, सैंपलिंग टीम और कोविड केयर सेंटर में भी लगाई गई है। आयुष चिकित्सकों की मांग है कि प्रदेश के सभी अस्थायी चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संविदा में संविलियन किया जाए। उन्हें नियमित चिकित्सकों व पैरामेडिकल की तरह समान कार्य-समान वेतन की तर्ज पर वेतन दी जाए।

आयुष चिकित्सक डा. दिनेश कुमार के मुताबिक अस्थायी आयुष चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ कोविड के दौर में अपनी जान की परवाह किए बगैर अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज व मरीजों की जांच में जुटे हैं। सरकार को को तीन दिन पहले ही हम अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप चुके हैं। मंगलवार से हम हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान जो मरीजों की जांच व अन्य स्वास्थ्य प्रक्रिया प्रभावित होगी उसके लिए राज्य शासन जिम्मेदार होगा। सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या के मुताबिक संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य संबंधित अन्य गतिविधियां प्रभावित होंगी। हम मौजूदा स्वास्थ्यकर्मियों व स्टाफ के माध्यम से सैंपलिंग व अन्य कार्य संभालने का प्रयास करेंगे।

‘कार्यकाल बढ़ाने के बजाए स्थाई नियुक्ति दे दें’

सोमवार सुबह 11.30 बजे 30-35 संविदा चिकित्सक सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या से मिलने पहुंचे और उन्हें परेशानी बताई। सीएमएचओ कार्यालय पहुंची आयुष चिकित्सकों का कहना था पिछली बार राज्य शासन ने आयुष चिकित्सकों को 10 हजार रुपये अतिरिक्त देने का आश्वासन दिया था वह भी आज तक पूरा नहीं किया गया। आयुष चिकित्सक डा. तोषी श्रीवास्तव के मुताबिक कोविड के दौर में हम विपरित परिस्थिति में काम कर रहे हैं। मेरा परिवार संक्रमित हो गया, मेरे जुड़वां बच्चे हैं। एमएस होने के कारण मुझे वैक्सीन नहीं लग सकती। इसके बाद भी काम कर रही हूं। डा. राखी दुबे ने कहा, यहां काम करते-करते हमें एक साल से ज्यादा हो गया। न तो सैलरी बढ़ाई, न अन्य सुविधाएं मिलीं। जब केस कम हो जाते हैं, तो हटा दिया जाता है। केस बढ़ते ही नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर बुला लिया जाता है। आयुष चिकित्सक डा. शिव प्रताप सिंह यादव के मुताबिक सरकार द्वारा हर महीने हमारा कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। सरकार ऐसा न कर संविदा नियुक्ति कर दें, ताकि नौकरी सुरक्षित हो सके। डेढ़ साल कोविड में काम करते बीत चुका है, ऐसे में सरकार को हमारे लिए सोचना चाहिए।