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मोदी सरकार के सात साल पूरे, मजदूर, किसान मनाएंगे काला दिवस

रायपुर।  मोदी सरकार के सात साल पूरे हो गए। सरकार अपनी उपलब्‍धी बता रही है। वहीं, किसान संगठन व वामपंथी पार्टियां काला दिवस मनाने का दम भर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते घर या कार्यस्थल पर काले झंडे या बिल्ला लगाकर प्रदर्शन किए जाएंगे। कृषि व श्रम कानून में बदलाव वापस लेने की मांग की जाएगी।

संगठनों का कहना है कि तीन काले किसान कानून की वापसी और एमएसपी की कानूनी गारंटी, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिता वापस लेने, निजीकरण बंद करने, सभी के वेतन, रोजगार, आश्रय की सुरक्षा देने, प्रत्येक नागरिक को मुफ्त वैक्सीन देने, गैर आयकरदाता परिवार को 7500 रुपए दिए जाने, कारपोरेट पक्षधर नीति बदलने, डीजल, पेट्रोल व खाद के दाम आधे करने की मांग की जा रही है। इसके अलावा मनरेगा में सबको काम देने व सबको राशन देने, जमीन, जीविका व भोजन की सुरक्षा की मांग को लेकर 26 मई को देश भर में मजदूर किसान काला दिवस मनाएंगे।

सीटू के राज्य सचिव धर्मराज महापात्र ने बताया कि प्रदेश में भी घरों में काले झंडे फहराकर प्रदर्शन किया जाएगा। हमारा किसान आंदोलन देश के किसानों को कारपोरेट की लूट व नियंत्रण से बचाने तथा आम जनता की खाद्य सुरक्षा बचाने के लिए लड़ा जा रहा है। बिना उचित प्रक्रिया के संसद में तीन काले किसान कानून पारित घोषित कर दिये गए थे।

ये बड़े कारपोरेट और अनाज व्यापार की विशाल विदेशी कंपनियों द्वारा खेती में लागत के बाजार, फसलों का प्रारूप, फसलों की बिक्री, अनाज के भंडारण, फसलों का प्रसंस्करण और अनाज के बाजार पर पूरा नियंत्रण व अधिकार दिला देंगे। और सरकारी खरीद तथा राशन की सुरक्षा समाप्त कर देंगे। वे जमाखोरी और बिना रोकटोक के खाने की कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे। हम देखा रहे हैं कि कैसे सरकार ने कंपनियों को पेट्रोल, डीजल व खाद के दाम बढ़ाने की छूट दी हुई है, जबकि बेरोजगारी बढ़ रही है और जनता की बदहाली बढ़ रही है।

ये कानून पहली कोरोना लहर में लाॅकडाउन अमल करके पारित किए गए। अब दूसरी कोरोना लहर में इन्हें अमल करने की योजना है। अगर सरकार किसानों के प्रति चिंतित होती तो उसे इन कानूनों को वापस ले लेना चाहिए था। तीन कानूनों के खिलाफ ये लड़ाई तभी बढ़ सकी जब पंजाब के किसानों ने कोरोना के डर और राजकीय दमन का मुकाबला करते हुए इन कानूनों का विरोध किया।

कोरोना का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर जिससे वह जनता पर पुलिस का भय पैदा करना चाहती है, अपने पक्ष में छूठा प्रचार करना चाहती है, जनता को इलाज देने की अपनी जिम्मेदारियों पूरी न कर छिपाना चाहती है तथा कारपोरेट की मदद करना चाहती है।

जिस तरह से कारपोरेट ने चिकित्सा सेवा के बहुत सारे कामों पर कब्जा कर लिया है और वह खुलेआम मरीजों से पैसा चूस रही है। सरकार चाहती है कि कारपोरेट उसी तरह खेती व खाने के क्षेत्र पर भी कब्जा जमा लें। इसे रोकने और देश को बचाने की जिम्मेदारी हम पर है। हमें कोविड की देखभाल में जहां जैसी जरूरत है, लोगों की मदद करनी चाहिए और इन कानूनों के खिलाफ, खाना व काम देने के लिए, खाद व डीजल-पेट्रोल के दाम घटाने के लिए और पुलिस दमन के खिलाफ उन्हें गोलबंद करना चाहिए।