1 मिनट में 750 गोलियां दाग सकता है; टेस्टिंग पूरी, राजनाथ कल जोधपुर में सेना को सौपेंगे
नई दिल्ली: देश में ही विकसित लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) सैन्य बलों में शामिल होने जा रहा है। यह पहला मौका होगा जब वायु सेना और थल सेना दोनों ही एलसीएच को ऑपरेट करेंगी। 3 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना 90वें वायु सेना दिवस से पहले जोधपुर में औपचारिक रूप से 10 LCH को शामिल करने जा रही है। बाकी 5 थलसेना को दिए जाएंगे।आर्मी एविएशन के DG लेफ्टिनेंट जनरल एके सूरी ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से पहला एलसीएच प्राप्त किया। यह हेलीकॉप्टर कम गति के वायुयानों से लेकर ड्रोन से जैसे ऑब्जेक्ट को भी मार गिराएगा।दो दशक पुरानी है LCH की मांगकरीब 3885 करोड़ रुपए की लागत से बने 15 एलसीएच फौज में 3 अक्टूबर को शामिल हो रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जोधपुर के एयरबेस पर ये हेलीकॉप्टर शामिल करेंगे। एलसीएच सेना को मिलने के बाद दो दशक पुरानी यह मांग पूरी हो जाएगी।लेजर वार्निंग सेंसर से लैस है LCHहाल ही में चीन से एलएसी पर तनातनी की स्थिति के दौरान इस हेलीकॉप्टर की बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की गई थी। यह हेलीकॉप्टर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक राडार वार्निंग सेंसरों, एमएडब्ल्यू 300 मिसाइलों और एलडब्ल्यूएस 310 लेजर वार्निंग सेंसर से लैस है।एलसीएच में 8 हेलीकॉप्टर लॉन्च हेलिना एंटी टैंक मिसाइलें, चार फ्रांस निर्मित एमबीडीए एयर टू एयर मिसाइलें, 4 रॉकेट पॉड्स लगाए जा सकते हैं। इसकी कैनन से हर मिनट 750 गोलियां दागी जा सकती हैं।स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर की 7 खासियतें1. स्वदेशी डिजाइन और एडवांस तकनीक2. किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम3. आसमान से दुश्मनों में नजर रखने में मददगार4. हवा से हवा में हमला करने वाली मिसाइलें ले जाने में सक्षम5. चार 70 या 68 MA रॉकेट ले जाने में सक्षम6. फॉरवर्ड इन्फ्रारेड सर्च, CCD कैमरा और थर्मल विजन और लेजर रेंज फाइंडर भी7. नाइट ऑपरेशन करने और दुर्घटना से बचने में भी सक्षमक्यों महसूस हुई जरूरत1996 में कारगिल युद्ध के समय दुश्मन के ऊंचाई पर होने के कारण इस हेलिकॉप्टर की जरूरत महसूस हुई थी। इसके बारे में सबसे पहले 2006 में जानकारी सामने आई। 2015 में इसका ट्रायल किया गया। इस दौरान इसने 20 हजार से लेकर 25 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरी। पिछले साल चीन के साथ हुए टकराव के बीच इसकी 2 यूनिट लद्दाख में तैनात की गई थीं।