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महाकाल लोक का लोकार्पण कल

UJJAIN. बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन। शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर। उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर अति प्राचीन है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पालनकर्ता नंद की 8वीं पीढ़ी के पूर्व हुई थी। बाबा महाकाल दक्षिण मुखी होकर विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाबा महाकाल के दर्शन मात्र से ही मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। महाकाल मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है। इसी वजह से इसे धरती का नाभि स्थल भी माना जाता है।

महाकाल ज्योतिर्लिंग की कथा
धार्मिक कथाओं के मुताबिक उज्जैन भगवान शिव को बेहद प्रिय है। उज्जैन में भोलेनाथ के कई प्रिय भक्त रहा करते थे। उज्जैन में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। उस ब्राह्मण के 4 पुत्र थे। उज्जैन में दूषण राक्षस का आतंक था। वो राक्षस सभी लोगों को परेशान करता था। इसलिए उस ब्राह्मण ने भगवान शिव की आराधना की। ब्राह्मण की तपस्या से प्रसन्न होकर महाकाल धरती फाड़कर प्रकट हुए और राक्षस का वध कर दिया। शिव के भक्तों ने उनसे सदा उसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की, इसके बाद वे महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
बाबा महाकाल की भस्मारती
महाकाल मंदिर में रोज सुबह 4 बजे भस्मारती होती है। भस्म को शिवजी का वस्त्र माना जाता है। किसी भी पदार्थ का अंतिम रूप भस्म होता है। भस्म इस बात का संकेत भी है कि सृष्टि नश्वर है। शिवजी भस्म धारण करके सभी को यही बताना चाहते हैं कि इस देह का अंतिम सत्य यही है। महाकाल की 6 बार आरती होती हैं, जिसमें भस्मारती सबसे खास मानी जाती है। पहले मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल की भस्मारती की जाती थी। अब गाय के गोबर के कंडों से तैयार भस्म से भगवान की पूजा की जाती है।
साल में सिर्फ एक बार होते हैं नाग देवता के दर्शन
बाबा महाकाल के मंदिर में नाग देवता का प्रसिद्ध मंदिर है। श्रावण मास की नाग पंचमी के दिन नाग देवता के दर्शन होते हैं। ऐसा माना जाता है कि नागचंद्रेश्वर के दर्शन से व्यक्ति सर्पदंश के दोष और भय से मुक्त हो जाता है। नागचंद्रेश्वर की पूजा करने से कुंडली का कालसर्प दोष भी दूर हो जाता है।
महाकाल की पूजा का धार्मिक महत्व
उज्जैन में बाबा महाकाल का धाम तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। दूर-दूर से लोग बाबा महाकाल के दर्शन करने आते हैं। कुंडली के कालसर्प दोष से लेकर जीवन की हर समस्या को दूर करने की कामना लिए महाकालेश्वर का विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
उज्जैन में रात में नहीं ठहरता कोई भी राजा
प्राचीनकाल से महाकाल मंदिर की मान्यता रही है कि अगर कोई राजा उज्जैन की सीमा में रात गुजारता है तो उसे इस अपराध का दंड भुगतना पड़ता है। इसलिए कोई भी राजा, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या जनप्रतिनिधि उज्जैन में रात में ठहरने की हिम्मत नहीं करता। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन के राजा सिर्फ एक हैं बाबा महाकाल। इसलिए यहां कोई मानव रूपी राजा रात नहीं बिताता है।
भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के बाद उज्जैन में एक रात रुके थे। इसके बाद मोरारजी देसाई की सरकार अगले ही दिन गिर गई थी। उज्जैन में एक रात ठहरने के बाद कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा को 20 दिन के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था।