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केरल विधानसभा में मुख्यमंत्री ने उठाई आवाज, लक्षद्वीप के विवादित मुद्दे पर केंद्र के दखल की मांग पर लगी मुहर

तिरुअनंतपुर। केरल विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से लक्षद्वीप के प्रशासक को वापस बुलाने और लक्षद्वीप मुद्दे में केंद्र के दखल की मांग का प्रस्ताव पारित कर दिया। केरल विधानसभा में आज मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने लक्षद्वीप (Lakshadweep) के लोगों के प्रति एकजुटता जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘केंद्र को लक्षद्वीप मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। लोगों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित कराना केंद्र की जिम्मेदारी है।’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘ जनता के हितों को चुनौती देने वाले एडमिनिस्ट्रेटर को हटाना चाहिए। केंद्र को लक्षद्वीप की जनता के सुरक्षा हेतु तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है।’

मुख्यमंत्री ने नियम 118 के तहत विधानसभा में रिज्योलूशन पेश किया। विपक्ष की ओर से भी इसके लिए समर्थन जताया गया। इसके तहत लक्षद्वीप की जनता के लिए केंद्र से दखल देने की मांग की गई है। साथ ही लक्षद्वीप प्रशासन और विवादित रिफॉर्म को वापस लेने की भी मांग है। बता दें कि शुक्रवार को केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप के प्रशासक के केंद्र शासित प्रदेश में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन, 2021 (LDA) और सामाजिक गतिविधि रोकथाम (PASA) अधिनियम पेश करने के कदम के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।

पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप का कमान प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को दिया गया। इसके बाद उन्होंने लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे लेकर आए। इसमें एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान है।

बता दें कि लक्षद्वीप के प्रशासक पर सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं के साथ गलत तरीके से हस्तक्षेप करने का आरोप है। इसके लिए कांग्रेस की ओर से केरल हाईकोर्ट याचिका दायर की गई जिसमें कहा गया है कि द्वीप की जनता ने भी प्रशासन द्वारा लाए लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन 2021 और लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण के निर्माण का विरोध किया है। ये कानून प्रशासन को द्वीप के अनुसूचित जनजाति के लोगों की छोटी संपत्ति के अधिग्रहण का अधिकार देते हैं।

PASA के तहत प्रशासन को यह अधिकार मिलता है कि वह किसी को सार्वजनिक रूप से जानकारी दिए बगैर किसी भी व्यक्ति को करीब एक साल तक कैद में रख सकता है। मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को इन विवादित कानूनों के लागू किए जाने के कारण हटाए जाने की मांग की जा रही है।