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HC दीवाली की छुट्टी के बाद करेगा सुनवाई; दलील थी- ये मौलिक अधिकारों का हनन

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कोटर्ट में होने वाली लम्बी छुटि्टयों को याचिका दाखिल करने वालों के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि छुट्टियों के दौरान अदालतें जरूरी मामलों की सुनवाई के लिए बहुत कम न्यायाधीश रहते हैं। हालांकि कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई दीवाली की छुटि्टयों के बाद सुनवाई करेगा।याचिकाकर्ता सबीना लकड़ावाला ने मांग की है कि दीवाली, क्रिसमस और गर्मी के दौरान करीब 70 दिनों से ज्यादा की छुट्टियां मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।दीवाली की छुटि्टयों में भी काम करे कोर्टयाचिका में यह भी मांग की गई है कि वेकेशन बेंच की परमिशन के बिना सभी याचिकाओं की रजिस्ट्री हो। इतना ही नहीं दीवाली की छुट्टियों के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट में काम चलता रहे। साथ ही आने वाले मामलों की सुनवाई के लिए पर्याप्त संख्या में जजों की नियुक्ति के निर्देश दिए जाएं।याचिकाकर्ता कहना है कि लंबी छुट्टियां जो औपनिवेशिक युग की निशानी हैं। ये जस्टिस डिलीवरी सिस्टम के पतन की वजह हैं, जो पहले से ही वेंटिलेटर पर है। लंबी छुट्टी एलीट लॉयर्स के लिए उपयुक्त है।सबीना ने इसलिए लगाई छुटि्टयां खत्म करने की याचिकासबीना ने यह अपील इसलिए की है क्योंकि उसके ससुराल वालों, सौतेले बच्चों और सौतेले पोते-पोतियों ने 3 जुलाई 2021 को उसे घर से निकाल दिया था। उसे झूठे आरोपों में IPC की धारा 326 के तहत गिरफ्तार किया गया था। तब से वह राहत पाने के लिए निचली अदालतों और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है। उसकी करीब 158 दिन कोर्ट में पेशी हुई, फिर भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।अंग्रेज जजों की जरूरत थीं लम्बी छुटि्टयांयाचिका में कहा गया कि न्याय व्यवस्था की हालत खस्ता है। छुटि्टयों के नाम पर कोर्ट बंद होना गुलामी की निशानी है। इसे खत्म करना चाहिए। लम्बी छुटि्टयां तब सही थीं जब ज्यादातर जज अंग्रेज थे। वे भारत की गर्मियों में रह नहीं पाते थे। उन्हें समुद्र से इंग्लैंड यात्रा करने के लिए लंबी छुट्टियों की जरूरत होती थी।आज यह केवल विलासिता है, जिसे देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। जजों और वकीलों को छुट्टी कोर्ट बंद किए बिना भी दी जा सकती है।याचिका में ये सुझाव दिए गएछुट्टियों में पूरा कोर्ट बंद रखने की जगह आधे स्टाफ के साथ खोला जा सकता है।जजों को साल के अलग-अलग समय पर छुट्टी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।याचिका में स्पष्ट किया गया कि याचिकाकर्ता छुट्टी खत्म करने की मांग करते हुए जजों और वकीलों के काम का बोझ बढ़ाने की मांग नहीं कर रहा है।