चंबल में श्रीकृष्ण आते थे गाय चराने; ये कस्बा था गायों की हद, बोलते- गोहद
भिंड: पांच दिवसीय उत्सव के चौथे दिन आज गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया जा रहा है। भिंड जिले में गोवर्धन पूजा ब्रज की भूमि की तर्ज पर की जाती है। यहां गाय-भैंस समेत अन्य पशुओं का पूजन किसान करते हैं। गोवर्धन महाराज की प्रतिमा गोबर से जमीन पर तैयार की जाती है। फिर पूजा की जाती है।ऐसी मान्यता है कि चंबल की धरती मथुरा-वृंदावन के नजदीक है। यहां तक भगवान श्रीकृष्ण गायों को चराने के लिए ब्रज से गोहद तक आते थे। हालांकि, ऐसे कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलते, परंतु किवदंतियों में कहा जाता है कि भिंड जिले का गोहद का नाम श्रीकृष्ण की गायों की चराने की सीमा अर्थात गायों की हद पर पड़ा है।वर्तमान समय में गोहद विकसित कस्बा है। ये जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है। यहां आने जाने के लिए सड़क मार्ग व रेलवे मार्ग सुलभ है। ये कस्बा भिंड जिला मुख्यालय की अपेक्षा ग्वालियर के ज्यादा नजदीक है। ऐसी किवदंति है कि गोहद में भगवान श्रीकृष्ण अपनी गायों के साथ चराने के लिए आ जाया करते थे। इसलिए कालांतर में इस कस्बे में भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी के भव्य मंदिर बनवाए गए। यहां के मंदिरों में दीपावली के दूसरे दिन आज गोवर्धन पूजा भी विशेष धूमधाम से की जाएगी। इसके अलावा यहां की गलियां संकरी हैं। लोग इन नगर की बनवाट मथुरा वृंदावन की तर्ज पर होने की बात कहते हैं।ब्रज की भूमि है चंबल की ये धरतीगोहद के रहने वाले उमेश कुमार कांकर का कहना है कि ब्रज की भूमि गोहद तक मानी जाती थी। यहां तक भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में गायें चराने के लिए गोहद तक आते थे।यहां रहने वाले लोगों के हृदय में श्रीकृष्ण-राधा के प्रति विशेष आस्था को दर्शाते हैं। गोवर्धन पूजा कस्बे के मंदिरों के साथ कस्बे के हर घर में होती है।