जगह-जगह पुष्प वर्षा कर किया स्वागत, भाेर में ठाकुरजी पहुंचाए गए गर्ग आश्रम
बलिया: बलिया में कार्तिक मास में भृगु क्षेत्र का महात्म्य बढ़ जाता है।बलिया में कार्तिक मास में भृगु क्षेत्र का महात्म्य बढ़ जाता है। चारों युग में तीन लोक के देवी, देवता, गन्धर्व व ऋषिमुनि कल्पवास करते हैं। गंगा स्नान का विशेष महत्व है। दीपवाली पर्व पर भृगु मंदिर से ऐतिहासिक व पौराणिक छह दिवसीय पंचकोशी यात्रा गर्ग आश्रम सागरपाली के लिए निकली। यात्रा में गाजे-बाजे के साथ घोड़ा और महिला-पुरूष श्रद्धालु शामिल रहे।ग्रहण सूतक होने के कारण ठाकुर जी यात्रा में शामिल नहीं हुए। श्रद्धालु ने उन्हें भोर में ही गर्ग आश्रम पहुंचा दिया। भृगु मंदिर से पंचकोशी यात्रा बालक बाबा और अन्य महात्मा के नेतृव में निकली। बाबा बालेश्वर मंदिर, सिनेमा रोड़, चौक, स्टेशन रोड़, चित्तुपाण्डेय चौराहा, बहेरी, चन्द्रशेखर नगर से जलालपुर होते हुए शोभायात्रा माल्देपुर मोड़ पहुंची। रास्ते में श्रद्धालुओ ने जगह-जगह यात्रा का स्वागत किया।बलिया में पंचकोसी यात्रा में शामिल साधु-संत।माल्देपुर में प्रधान प्रतिनिधि विनोद राय, बृजेश राय, हैबतपुर के प्रधान प्रतिनिधि नरेन्द्र राय, समाजसेवी हरनारायण राय सहित ग्रामीणों ने यात्रा का स्वागत किया। खोरीपाकड़ में श्रीनिवास राय, सरफुद्दीनपुर में शिवकुमार राय, भृगुनाथ राय, दरामपुर में नरेंद्र राय, अंजनी राय, विनोद राय, नसीराबाद, सागरपाली में भव्य स्वागत हुआ। सागरपाली रेलवे स्टेशन पर शोभा यात्रा समाप्त हुई। रात्रि विश्राम कर यात्रा अगली सुबह विमलेश्वर महादेव देवकली के लिए रवाना होगी।श्रद्धालुओं संग अप्रत्यक्ष रूप से देवता भी होते शामिलकार्तिक महीना बलिया के लिए विशेष महत्व वाला होता है। मान्यता है कि पंचकोशी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से देवता भी साथ चलते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि सतयुग में पुष्कर क्षेत्र, त्रेता में नैमिषारण्य क्षेत्र, द्वापर में कुरुक्षेत्र और कलियुग में भृगु क्षेत्र का विशेष महत्व है। चौबे छपरा निवासी उमेश चौबे पूर्वज पंचकोशी यात्रा दशकों से निकाल रहा है। पंचकोशी परिक्रमा प्रतिवर्ष दीपावली के दिन से रवाना होती है, जो सागरपाली गर्गाश्रम, देवकली, छितौनी से परसिया होते हुए भृगु मंदिर पर समाप्त होती है।