5 साल पहले एक बीघा से शुरुआत, अब 5 बीघा में खेती कर कमा रहे 5 लाख सालाना
गुना: किसान अब परंपरागत खेती छोड़ विकल्प तलाश रहे हैं। पारंपरिक फसलों के अलावा सब्जियों, फूलों और फलों की खेती की ओर तेजी से रुझान बढ़ रहा है। गुना के दो किसान ऐसे ही हैं, जिन्होंने एक पहल की और आज परंपरागत से कई गुना ज्यादा प्रॉफिट कमा रहे हैं। वे गेंदे की खेती कर रहे हैं। इन दिनों फसल पूरी तरह तैयार है। इनकी तरह कई किसानों की तकदीर गेंदे ने बदल दी है। असल में पिछले कई साल से सोयाबीन, धनिया समेत अन्य फसलों में हो रहे नुकसान को देखते हुए किसान वैकल्पिक खेती की ओर मुड़ रहे हैं। टीम ने मुकेश कुशवाह के खेत पर जाकर ग्राउंड रिपोर्ट की…जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर गढ़ा गांव। यहां के किसान मुकेश कुशवाह और कमल सिंह कुशवाह। 5 साल पहले पारंपरिक खेती छोड़ एक बीघा में गेंदे के फूल की खेती शुरू की। पहले ही साल अच्छा मुनाफा हुआ। अब वह करीब 5 बीघा जमीन में फूलों की खेती कर रहे हैं। वह गुना, अशोकनगर समेत भोपाल, ग्वालियर और इलाहाबाद तक फूल भेज रहे हैं। हर साल इसमें प्रति बीघा 25 से 30 हजार रुपए खर्च कर सालाना 4 से 5 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। गेंदा ऐसा फूल है, जिसमें सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसके फूलों को सालभर में 10-12 बार तोड़ सकते हैं।यह है लगाने की प्रक्रियाकिसान मुकेश कुशवाह ने बताया कि गेंदे की फसल के लिए जून के महीने में खेत तैयार करना शुरू कर देते हैं। पहले देसी खाद और सुपर खाद को मिक्स कर डाली जाती है। इसके बाद खेत की गुड़ाई करनी होती है। 8-10 दिन के लिए ऐसे ही छोड़ देते हैं। फिर क्यारी (बेड) बनाई जाती हैं। यह करीब 3.5 फीट चौड़ाई की बनाई जाती हैं। एक से दूसरी क्यारी की दूरी करीब 3 फीट रखी जाती है। अब बारी आती है बीज डालने की। बीज डालने के 15 दिन बाद क्यारी को मिट्टी से भर दिया जाता है। हर 10 से 12 दिन में सिंचाई की जाती है। पौधे थोड़े बड़े होने पर दोनों ओर रस्सी लगाई जाती है, जिससे पेड़ झुके नहीं और टेढ़ा न हो।गेंदा ऐसा फूल है, जिसमें सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसके फूलों को सालभर में 10-12 बार तोड़ सकते हैं।ढाई महीने में तैयार हो जाती है फसलबीज लगाने से लेकर फसल तैयार होने में ढाई महीने का समय लगता है। बीज लगाने के 20-30 दिन में पौध तैयार होती है। पौध लगाने के बाद करीब 30 दिन में फूल आना शुरू हो जाते हैं। हर एक हफ्ते में फूल तोड़ने पड़ते हैं। एक पौधे पर 50 से ज्यादा फूल लगते हैं। एक बार तोड़ने पर फिर उसमें कलियां लगने लगती हैं।सबसे कठिन प्रक्रिया माला बनानामुकेश बताते हैं कि फसल तैयार होने के बाद लगातार इसे बाजार में भेजना होता है। शाम को फूल तोड़कर सुबह मंडी में ले जाया जाता है। यहां नीलामी के जरिए फूल बिकता है। माला बनाकर भी भेजना होता है। भोपाल, ग्वालियर, इलाहाबाद सीधा फूल ही जाता है। 30 किलो का पैकेट बनाकर फूल भेजते हैं। फूल की डिमांड गणेश चतुर्थी से शुरू ही जाती है। नवरात्र में भी डिमांड ज्यादा रहती है। सबसे ज्यादा मांग दिवाली के समय होती है।फूल की डिमांड गणेश चतुर्थी से शुरू ही जाती है। नवरात्र में भी डिमांड ज्यादा रहती है। सबसे ज्यादा मांग दिवाली के समय होती है।सबसे ज्यादा मांग दिवाली परसबसे मुश्किल काम भी दिवाली के समय माला बनाने का होता है। क्योंकि एक ही दिन भारी मांग होने से सप्लाई ज्यादा करनी पड़ती है। इसके लिए धनतेरस के दिन से ही फूल तोड़ना शुरू कर देते हैं। दिवाली के एक दिन पहले से माला बनाना शुरू करते हैं। रात-रात भर काम करना होता है। ज्यादा लेबर की जरूरत भी इन्ही दो दिनों में पड़ती है। सबसे ज्यादा बिक्री भी इसी दिन होती है।लागत 20 हजार, मुनाफा एक लाखमुकेश की मानें तो एक बीघा जमीन पर खेत तैयार करने से लेकर बीज, लेबर और फसल में पानी देने में 25 से 30 हजार रुपए खर्च आता है। वहीं, सालाना 4 से 5 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है।अलग-अलग वैरायटी के हिसाब से बीज आता है। 500 रुपए से लेकर 2.5 हजार तक का बीज आता है। 10 ग्राम का पैकेट आता है। इसमें करीब एक हजार बीज निकलते हैं। इसमें से 700-800 बीज ही पनपते हैं। वहीं, बाजार में एक किलो फूल 60, 70 रुपए से लेकर 100 रुपए प्रति किलो तक बिक जाते हैं। डिमांड के हिसाब से भी रेट मिलती है। ऑफ सीजन में एक माला थोक में 6-10 रुपए तक बिकती है। वहीं, सीजन में 15 रुपए तक भी कीमत पहुंच जाती है।गेंदे के फूल की किस्में…अफ्रीकन गेंदा: इन किस्में के फूलों के पौधों की ऊंचाई 60-80 सेंटीमीटर तक होती है। यह विभिन्न आकार, रंगों और आकर्षक वाले होते है।हाजारिया : हाजारिया गेंदा के पौधे की अधिक ऊंचे नहीं होती है। इसकी ऊंचाई कम से कम 30 सेंटीमीटर से 3 मीटर तक होती है।