विवाद के बाद कानूनी फेर में फंसी 2 VC की नियुक्ति, प्रशासनिक कार्य लटके
चंडीगढ़: पंजाब की बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी और पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के वाइस चांसलर (VC) की नियुक्ति के मामले कानूनी फेर में फंस गए हैं। दोनों ही मामलों में यूनिवर्सिटी के चांसलर एवं पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित से सरकार को मंजूरी नहीं मिली है। बावजूद इसके पंजाब की मान सरकार ने PAU के VC के पद पर डॉक्टर सतबीर सिंह गोसल को नियुक्त किया है, जबकि गवर्नर इसे गैर कानूनी ठहरा चुके हैं।नतीजतन गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित अब इन मामलों में कानूनी राय ले रहे हैं। जबकि CM भगवंत मान गुजरात और हरियाणा के आदमपुर चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। दोनों यूनिवर्सिटी में स्थाई VC की नियुक्ति न होने से यूनिवर्सिटी के कई प्रशासनिक कार्य लटक गए हैं।पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित।सूत्रों के अनुसार स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी पटियाला के VC ने विदेश दौरे के लिए छुट्टी मांगी है। गवर्नर ने सरकार से पूछा है कि इस दौरान अतिरिक्त कार्यभार किसे सौंपा जाएगा।यूनिवर्सिटी के फाइनेंस कार्य और नियुक्तियां लटकी!CM भगवंत मान और पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित के बीच खींचतान का प्रभाव दोनों यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक कार्यों पर पड़ना स्वाभाविक है, जिससे पंजाब की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी। दरअसल यूनिवर्सिटी के VC द्वारा ही मुख्य फैसले लिए जाते हैं। VC के पास फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी होती है और यूनिवर्सिटी में होने वाली नियुक्तियों में भी VC अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन VC की स्थायी नियुक्ति नहीं होने से इस प्रकार के प्रशासनिक कार्य अधूरे रहेंगे।सबसे बड़ा होता है विजिटरदेश में दो किस्म की यूनिवर्सिटी हैं। पहली सेंट्रल यूनिवर्सिटी और दूसरी स्टेट यूनिवर्सिटी। जैसे- जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) और केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद (AU) सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। इन यूनिवर्सिटी में सबसे बड़ा पद विजिटर का होता है, जो देश के राष्ट्रपति होते हैं। विजिटर ही वाइस चांसलर की नियुक्ति को मंजूरी देते हैं।चांसलर कौन होता है?सेंट्रल और स्टेट दोनों यूनिवर्सिटी में चांसलर होते हैं। इसका फैसला यूनिवर्सिटी एक्ट के अनुसार होता है। जैसे डीयू के चांसलर देश के उपराष्ट्रपति हैं। इसके अलावा स्टेट यूनिवर्सिटी के चांसलर संबंधित राज्य के राज्यपाल होते हैं।यूनिवर्सिटी में VC की मुख्य भूमिकायूनिवर्सिटी के ‘प्रिंसिपल एग्जीक्यूटिव एंड एकेडमिक ऑफिसर’ को वाइस चांसलर कहते हैं। किसी भी यूनिवर्सिटी से जुड़े अहम फैसले VC ही लेते हैं। VC के पास फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी होती है। यूनिवर्सिटी में होने वाली नियुक्तियों में वीसी अहम भूमिका निभाते हैं।डीन की वर्किंगयूनिवर्सिटी के अंतर्गत कॉलेज आते हैं। कुछ इंस्टीट्यूट के पास यूनिवर्सिटी जैसी स्वायत्तता रहती है। इन कॉलेज और इंस्टीट्यूट के पास डीन और डायरेक्टर्स होते हैं। कॉलेज से जुड़े कई अहम फैसले डीन लेते हैं।पंजाब सरकार ने गवर्नर को नहीं भेजा पैनलपंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब की भगवंत मान सरकार से यूनिवर्सिटी के VC की नियुक्ति के लिए तीन नाम का पैनल मांगा था, लेकिन सरकार द्वारा कई दिन बीतने के बाद भी पैनल नहीं भेजा गया है। यहां तक कि गवर्नर की नामंजूरी के बाद भी PAU के VC डॉ. गोसल बने हैं। वहीं बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी के VC के लिए लुधियाना से डीएमसी हीरो हार्ट अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर की नियुक्ति पर रोक के बाद डायरेक्टर मेडिकल शिक्षा व खोज (डीआरएमई) डॉ.अवनीश कुमार को कार्यकारी वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है।गवर्नर के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पंजाब सरकार ने साधी चुप्पीइन मामलों के लगातार तूल पकड़ने पर पंजाब गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने बीते दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पंजाब सरकार को उनकी और अपने स्वयं के अधिकारों व संवैधानिक शक्तियों के बारे बताया था। गवर्नर ने कहा था कि यूनिवर्सिटी के मामलों में राज्य सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इसके बाद से पंजाब सरकार मामले में पहले की तर्ज पर एक्टिव नहीं है, लेकिन इससे पहले पंजाब सरकार भी ये सभी बातें गवर्नर से कह चुकी है।CM भगवंत मान लिख चुके हैं लेटरCM भगवंत मान ने गवर्नर को लिखे लेटर में कहा है कि पहले PAU के VC डॉ बलदेव सिंह ढिल्लों थे। उनकी नियुक्ति की मंजूरी भी राज्यपाल से नहीं ली गई थी। उससे पहले डॉक्टर एमएस कंग की नियुक्ति की मंजूरी भी गवर्नर से नहीं ली गई थी। किसी भी पिछले VC की नियुक्ति की मंजूरी गवर्नर से नहीं ली गई थी। इसलिए डॉक्टर सतबीर सिंह गोसल को भी पहले की तरह कानून के अनुसार नियुक्त किया गया है।गवर्नर को लिखे दो लेटर सामने आने पर विवादCM भगवंत मान द्वारा गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित को दो अलग अलग लेटर लिखे गए थे, लेकिन गवर्नर को अंग्रेजी में लिखा एक ही लेटर मिला था, जिसमें CM मान ने मर्यादित व संयम की भाषा का इस्तेमाल किया था, लेकिन CM के ट्विटर पर पंजाबी भाषा में सामने आए दूसरे लेटर में गवर्नर को पंजाबियों में भारी गुस्सा होने और गवर्नर को चेतावनी भरी भाषा का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद विपक्षी दलों समेत गवर्नर ने CM भगवंत मान को संवैधानिक जिम्मेदारी और शक्तियों के बारे बताया था।