अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर मांगा सुख-समृद्धि का वर, छठी मैया का आशीर्वाद लेने हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व नगर अध्यक्ष राजकुमार सोनी पहुंचे घाट
~ छठ पूजा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का उदाहरण, सूर्य उपासना हमारी संस्कृति की पहचान – राजकुमार सोनी
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके सहित प्रदेश के तमाम इलाकों में लोक आस्था के पर्व छठ पर रविवार की शाम को डूबते सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा जौनपुर, देवरिया, बस्ती सहित अन्य इलाकों से मिली जानकारी के मुताबिक छठ घाटों पर व्रतधारकों के लिये भगवान भास्कर की उपासना के पर्याप्त इंतजामों के बीच पूरी आस्था के साथ यह पर्व मनाया गया। गौरतलब है कि पुत्र प्राप्ति, समृद्धि एवं मंगलकामना के पर्व के रूप में छठी मैया की उपासना की जाती है।
बस्ती में शाम ढलते ही व्रती महिलाओं का हुजूम विभिन्न घाटों पर एकत्र हुआ और डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब व जलाशयों में भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। दोपहर से ही छठव्रतियों एवं दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। बड़ी संख्या में छठव्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंच गये। इन लोगों ने शाम को पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की।
हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व नगर अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने बताया कि छठ महापर्व 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। वैदिक पंचांग के अनुसार आज सूर्यास्त 5:35 बजे व्रती महिलाओं ने पूजन सामग्री बांस की टोकरी में रखकर पांच प्रकार के फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल के साथ अस्ताचलगामी अर्घ्य दिया। घाटो पर महिलाओं ने छठी मैया को प्रसन्न करेन के लिए गीत गुनगुनाये। सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व पूर्ण होगा।
उन्होंने बताया कि अस्त होता सूर्य ये संदेश देता है कि वक्त थमता नहीं है और दुनिया खत्म नहीं होती और कल भी नए उजाले के साथ सूर्य उदय होगा। इसलिए इंसान को हारना नहीं चाहिये। उसे हालात के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिये। विपरीत परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिये।
हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व नगर अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने सूर्य उपासना के महापर्व पर छठ पूजा में सम्मिलित होकर डूबते हुए सूर्य को दीप जलाकर पूजन अर्चन कर छठ व्रत माताओं का आशीर्वाद लिया। साथ ही छठी मैया से छठ व्रत माताओं के लिए प्रार्थना की अपनी असीम कृपा छठ व्रत माताओं पर बरसायें छठी मैया संपूर्ण रुधौली परिवार का कल्याण करें यही कमाना की।
आस्था और विश्वास के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। यूपी में छठ महापर्व धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना का खास महत्व माना जाता है। छठ पूजा में के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है, जिसका बहुत महत्व है और कल उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती जल में खड़े रहकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। बता दें कि हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व नगर अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने इस वर्ष स्वच्छ और सुरक्षित छठ के संदेश के साथ लोगों की भरपूर मदद की। हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व नगर अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में इस पर्व की विशिष्ट परंपरा रही है। प्रयास होना चाहिए कि सभी व्रतधारी श्रद्धालुजनों को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध हों।
छठव्रतियों ने आतिशबाजी और गाजे-बाजे के बीच डूबते सूर्य एवं छठमाता की आराधना की। इस पर्व में प्रसाद से भरे बांस के सूप और टोकरियों को घाट पर ले जाया जाता है। जहां सूर्य देव और छठी मैय्या को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त निर्जला व्रत करते हैं। निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्याेदय तक जारी रहता है। जब सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पर्व के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद, बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है, फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के साथ वितरित किया जाता है। छठ पूजा के चार दिवसीय त्योहार के आज तीसरे दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य या पहले अर्घ्य के रूप में जाना जाता है।
छठ के प्रसाद को तैयार करने के लिए महिलायें खास तैयारी करती हैं। यह प्रसाद त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में बहुत महत्व रखता है। व्रती और उनके परिजन सूर्यादय से पूर्व स्नान कर प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियाें का इंतजाम करते हैं। चावल, गन्ना, ठेकुआ, पकवान, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, नारियल, घी, मखाना, नींबू, सेब, संतरा, इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं।
ज्ञात हो कि सोमवार को सूर्योदय पर भी अर्घ्य दिया जाएगा। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने छठव्रती तड़के ही घाट पहुंचने लगेंगे। इसके बाद सोमवार को फिर घाटों में लोगों की भीड़ लगेगी। इस दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत टूटेगा।
बस्ती जिले में महापर्व छठ पर आज विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ देकर भगवान भास्कर की आराधना की। दोपहर बाद से ही श्रद्धालु विभिन्न घाटों पर पहुंचने लगे थे। शाम तक विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। शहरी क्षेत्रों में तमाम लोगों ने घरों की छत पर अस्थाई तालाब बनाकर अर्घ्य दिया। इस दौरान छठी मइया के गीत गूंज रहे थे। यहां विभिन्न जलाशयों, तालाबों और नदियों के किनारे श्रद्धालु भगवान भास्कर का आराधना कर रहे थे। इस दौरान सफाई और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे।
बस्ती जिले के कुंआनो नदी के अमहट घाट एवं निर्मली कुण्ड के तट पर रविवार को छठमहापर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
रिपोर्ट – सुशील शर्मा