संगम, बलुआघाट, शंकरघाट, शिवकुटी, फाफामऊ में हजारों सुहागिनों ने दिया उगते सूरज को अर्घ्य
प्रयागराज: डाला छठ का क्रेज और इस पर्व के प्रति आस्था अब संगम नगरी में भी बढ़ रही है। रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा-अर्चना करतीं व्रती महिलाएं।डाला छठ पर प्रयागराज में गंगा, यमुना किनारे आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 3 बजे से ही सुहागिनें और उनके परिजन सिर पर दऊरा लिए संगम, बलुआघाट, शंकरघाट, फाफामऊ, शिवकुटी में गंगा किनारे घाटों पर जाते देखे गए। व्रती महिलाएं समूह में छठ गीत उगा हे सूरज देव भोर भिनसरवा,उगा हे सूरज देव भोर भिनसरवा, अरघ के रे बेरवा हो पूजन के रे बेरवा हो गाते गुनगुनाते दिखीं। लाखों कदम गंगा और यमुना घाटों की ओर जाते देखे गए।संगम पर रविवार की शाम सूर्य देव के डूबने का इंतजार करतीं व्रती सुहागिनें।उगते सूर्य को अर्घ्य देकर मांगा आशीषशनिवार को खरने के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रत सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ। पिछले 8 साल से छठ का व्रत रखने वाली और अरैल क्षेत्र में उगते सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचीं सविता सिंह ने बताया कि रविवार को कमर भर पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया है। आज हमने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पति, पुत्र, परिवार, देश और समाज में सुख-शांति और समृद्धि की मंगल कामना की है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद गंगा जल से हम पारन करेंगे। इसके बाद हवन होगा। हवन के बाद 36 घंटे के व्रत का पारन होगा।डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी करतीं व्रती महिलाएं।हमारे तो सभी मनोरथ पूरी हुएमम्फोर्डगंज के सुमुख विहार में रहने वाली और पिछले 20 सालों से डाला छठ का व्रत रखने वाली अनीता सिंह ने बताया कि सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारन होगा। अनीता ने बताया कि उनकी छठ मइया में बहुत आस्था है। हमारी तो सारी मनोकामना छठ मइया ने पूरी की ही है हमने जिसके लिए मां से जो मांगा वह पूरा हुआ है। यह व्रत जो भी आस्था और विस्वास के साथ रहता है छठ मइया उसकी सारी मनोकामना पूरी करती हैं।संगम पर जैसे आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा हो।जाम और दलदल से जूझे श्रद्धालुगंगा और यमुना में देर तक बाढ़ रहने के कारण इस बार डाला छठ पर घाटों पर एक से दो फीट दलदल रहा। प्रशासनिक तैयारियां इस दलदल में ही घंसकर रह गईं। लोगों को गांठभर दलदल में घुसकर स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जाना पड़ा। फिसलन होने के कारण कई श्रद्धालु गिर भी गए। इसके अलावा संगम, बलुआघाट में हजारों चार पहिया और दो पहिया वाहन पहुंच जाने से रविवार की शाम और सोमवार की सुबह जाम झेलना पड़ा। न तो यहां कोई ट्रैफिक प्लान दिख रहा था और न ही कोई कंट्रोल। 100 मीटर जाने में लोगों को आधे से एक घंटा का समय लगा।संगम पर अर्घ्य देने की तैयारी में महिला श्रद्धालु।संगम में सूर्य देव के डूबने का इतजार करतीं महिलाएं।