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नेकी की दीवार पर रखा सबकुछ, लेना तो दूर छूने से भी लगने लगा डर

जबलपुर। नेकी की दीवार खाली है, लोगों ने नेकी करके उसे भूल जाने की कहावत के उलट नेकी को ही भुला दिया है। नेकी करने वाले लाकडाउन और कोरोना की वजह से फिलहाल ऐसी दीवार पर कुछ भी नहीं रख पा रहे हैं। जिन्होंने सामान रखा तो उसे उठाने से जरूरतमंद कतरा रहे हैं। नतीजा थोड़ी बहुत सामग्री से दीवार पर रखी हुई है। वहीं कई जगह तो दीवार पूरी तरह से खाली पड़ी हुई है।

सामान रखने में लग रहा डर: शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर शासन की पहल पर नेकी की दीवार का सिलसिला शुरू हुआ था। जहां पर प्रशासन के सहयोग से स्वयं सेवी संगठन और समाज के लोगों ने घर की अनुपयोगी सामग्री को रखा। शुरूआती दौर में इतनी अधिक मात्रा में सामग्री पहुंची कि दीवार पर रखने के लिए जगह कम पड़ने लगी। सिविक सेंटर, तिलवाराघाट, कलेक्ट्रेट, ग्वारीघाट समेत कई इलाकों में नेकी की दीवार बनी। सिविक सेंटर में तो जेडीए ने बकायदा शेड बनाकर दीवार पर सामग्री रखने का इंतजाम किया लेकिन यहां भी अब कोई जरूरत की सामग्री नहीं मिल रही है। लाकडाउन लगने के कारण घरों से लोग निकल नहीं पाए। वहीं कोरोना संक्रमण भी इसकी बड़ी वजह बना।

अब कोई सामान नहीं रख रहा: गरीब और असहाय लोगों को गर्म कपड़ों की जरूरत थी, लेकिन इस दीवार पर कपड़े ही नहीं मिले। तिलवाराघाट में रहने वाले अनिल झा ने बताया कि दीवार पर अब कोई सामान नहीं रख रहा है कई लोग इसके लिए पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है। कलेक्ट्रेट परिसर में बनी इस दीवार में भी चंद सामान ही रखा हुआ है। लोगों को डर लगता है कि सामग्री छूने से कोरोना संक्रमण न फैल जाए इसलिए भी कोई सामान नहीं उठाने पहुंच रहा है।