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कोरोना से ठीक होने के दो महीने बाद डॉक्टरों के पास पहुंच रहे लोग, पूछते हैं म्यूकरमाइकोसिस तो नहीं

भोपाल। कोरोना होने के बाद म्यूकरमाइकोसिस का डर लोगों पर हावी हो रहा है। नाक, कान एवं गला रोग विशेषज्ञ और मनोचिकित्सकों के पास हर दिन चार से चार ऐसे केस आ रहे हैं जिन्हें कोई लक्षण नहीं हैं, लेकिन डर के चलते वह खुद को म्यूकरमाइकोसिस से प्रभावित मान रहे हैं। ऐसे लोगों में 20 से 40 साल वाले ज्यादा हैं। कुछ लोग तो खुद सीटी स्कैन कराकर डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो जिनके घर में कोरोना या म्यूकरमाइकोसिस से किसी की मौत हुई है। चिकित्सक उनकी काउंसिलिंग कर रहे हैं।

-हर दिन तीन-चार ऐसे लोग आते हैं जिन्हें यह लगता है कि उन्हें म्यूकरमाइकोसिस की बीमारी है। वह बहुत डरे हुए रहते हैं। उन्हें समझाया जाता है कि यह बीमारी किन्हें ज्यादा हो रही है और बचाव के लिए क्या करना है। किन लक्षणों पर नजर रखना है। यह अच्छी बात है लोग इस बीमारी को लेकर जागरूक हुए हैं। अब शुरुआती अवस्था में ही आ रहे हैं। हर बीमारी के बारे में यही होता है कि कुछ लोग बहुत ज्यादा बेफिक्र रहते हैं तो कुछ लोग बहुत ज्यादा चिंता करते हैं। दोनों तरह के लोग ठीक नहीं हैं।

डॉ. विकास गुप्ता, नाक, कान एवं गला रोग विशेष्ज्ञ , एम्स भोपाल

-किसी दिन तीन तो किसी दिन चार मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। वह बार-बार यही कहते हैं कि उन्हें म्यूकरमाइकोसिस हुआ है। कुछ तो सीटी स्कैन कराकर आ रहे हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो खुद सीटी स्कैन कराने के लिए बार-बार बोलते हैं। सीटी स्कैन में बीमारी नहीं मिलने के बाद भी उनका भ्रम दूर नहीं होता। बहुत समझाना पड़ता है। कई बार तो उनके स्वजन की काउंसिलिंग करनी पड़ती है।

डॉ. राजबाला सिंह, नाक, कान एवं गला रोग विशेषज्ञ

-म्यूकरमाइकोसिस की शिकायत लेकर ज्यादातर वह लोग आ रहे हैं जिनके परिवार में किसी की कोरोना या फिर म्यूकरमाइकोसिस से मौत हो गई है। एक घंटे तक काउंसिलिंग करनी पड़ती है। इनमें करीब 70 फीसद 20 से 40 साल की उम्र वाले हैं। यह लोग इंटरनेट पर लक्षणों और मौतों की संख्या के बारे में जानकर ज्यादा चिंतित होते हैं। कुछ को तो समझाना बहुत कठिन होता है। वह मानने को तैयार नहीं होते की उन्हें बीमारी नहीं है। ऐसे में वह एंग्जायटी डिसआर्डर के शिकार हो रहे हैं।

डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक