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लेमरू हाथी कारिडोर में कोयला खनन की एंट्री

रायपुर।छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के जंगलों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने हाथी कारिडोर की परियोजना तैयार की थी, लेकिन अब एक-एक करके नई कोयला खदानों के लिए पर्यावरण स्वीकृति देने का काम शुरू कर दिया गया है। गारे पालमा के बाद अब केते बासन की कोयला खदानों के लिए पर्यावरण स्वीकृति होने जा रही है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा हसदेव अरण्य क्षेत्र में केते एक्टेंसन कोल ब्लाक के लिए 14 जुलाई को जनसुनवाई आयोजित की गई है।

राजस्थान सरकार को मिले इस ब्लाक में एक निजी कंपनी खनन करेगी, जिससे 4348 एकड़ घना वन क्षेत्र समाप्त होने की आशंका जताई जा रही है। केते एक्सटेंसन ब्लाक हसदेव नदी का कैचमेंट है और प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व की परिधि में आने के कारण छत्तीसगढ़ खनिज विभाग ने जनवरी में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना पर आपत्ति दर्ज की थी।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया कि प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व की परिधि में आने के कारण खनिज विभाग ने जनवरी 2021 में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना पर आपत्ति दर्ज कर प्रक्रिया रोकने के लिए केंद्रीय कोल मंत्रालय को पत्र भेजा था। सामाजिक संस्थाओं और स्थानीय आदिवासियों के विरोध के बाद सरकार ने यह कदम उठाया था, लेकिन अब एक बार फिर जन सुनवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शुक्ला ने आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार हसदेव अरण्य के सघन जंगलों का विनाश करवा रही है। संचालित खदान की क्षमता पहले ही 10 से 15 टन बढ गई है। वाबजूद इसके नए ब्लाक में खनन किया जा रहा है। राजस्थान सरकार ने अपने चारों ब्लाक अदानी को एमओडी पर दिए हैं, जिनकी कुल क्षमता 26 टन है। परसा ईस्ट, केते बासन कोल ब्लाक के बाद परसा कोल ब्लाक का भूमि अधिग्रहण बिना ग्रामसभा के हुआ है। वन एवं पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव बनवाए गए हैं।