राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाने भाजपाई दिग्गजों की अलग-अलग जिलों में लगी ड्यूटी
बिलासपुर। राज्य सरकार का ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा होने वाला है। इसके पहले ही भाजपा ने सरकार को घेरने और ढाई वर्ष का हिसाब मांगना शुरू कर दिया है। शनिवार से प्रदेश भाजपा का अभियान शुरू हो गया है। रणनीतिकारों ने दिग्गज भाजपा नेताओं का अलग-अलग जिलांे में ड्यूटी लगाई है। खास बात ये कि प्रादेशिक मुद्दों के अलावा स्थानीय ज्वलंत मुद्दों को भी प्रभावी ढंग से उठाने का निर्णय लिया है। रणनीतिकारों की कोशिश है कि राज्य सरकार को चौतरफा घेरा जाए।
सरकारी कामकाज के अलावा कानून व्यवस्था सहित उन सभी मुद्दों पर कटघरे में खड़ा किया जाए जो आमजन से सीधे ताल्लुक रखता है और उनसे जुड़ा हुआ है। राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस ने सबसे पहले 2500 स्र्पये प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य प्रारंभ किया। इसके पहले कर्ज माफी की घोषणा की। किसानों के हित में दो ऐसे काम कांगेे्रस की सरकार ने किया जिसके कारण भाजपा को शुस्र्आती दौर में सियासीतौर पर बैकफूट पर आना पड़ा।
समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान कस्टम मिलिंग के चावल को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तलवारें खींच गई। बारदाना संकट भी गहराया। इन दोनों मुद्दों पर कांग्रेसी रणनीतिकारों ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश भी की। मुख्मंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी योजना नरवा,गस्र्वा,घुस्र्वा व बाड़ी योजना की चौतरफा धूम मची हुई है।
गोधन न्याय योजना के सहारे पशुपालकों और ग्रामीणों को साधने की कोशिश में सरकार सफल भी रही है। अब जबकि राज्य सरकार के कामकाज का ढाई साल की अवधि पूरी होने वाली है। भाजपाई रण्ानीतिकारों ने सरकार से हिसाब मांगना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना के अलावा राज्य सरकार के कामकाज को लेकर अलग-अलग मंच के जरिए हिसाब मांग रहे हैं। साथ ही कच्चा चिठ्ठा भी खोल रहे हैं।
अभियान को प्रभावी बनाने ऐसी रणनीति
भाजपाई रणनीतिकारों ने सरकार के खिलाफ अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रदेश के प्रमुख दिग्गज व तेजतर्रार नेताओं को अलग-अलग जिलों में भेजकर मीडिया से बातचीत करना और प्रभावी ढंग से अपनी बात रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी कड़ी में शनिवार को पूर्व मंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल बिलासपुर में व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को अंबिकापुर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दोनों दिग्गज नेताओं ने अपने प्रभार वाले जिलों में प्रभावशाली ढंग से अपनी बातें रखी।
स्थानीय मुद्दों पर फोकस
सरकार के ढाई साल का हिसाब मांगने के साथ ही दिग्गज नेताओं ने स्थानीय मुद्दांे पर भी फोकस करना शुरू किया है। स्थानीय मुद्दों के बहाने सरकार को घ्ोरने की रण्ानीति बनाई है।