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नासा के रोवर परसिवरेंस ने मार्स पर देखी धरती पर मौजूद वॉल्‍केनिक रॉक जैसी चट्टान

वाशिंगटन (नासा)। अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी ने बताया है कि मार्स पर गए उसके रोवर परसिवरेंस को वहां पर धरती पर मौजूद चट्टान की तरह ही एक चट्टान मिली है। नासा प‍रसिवरेंस मार्स रोवर के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से जारी ट्वीट में कहा गया है रोवर इस बड़े से पत्‍थर के पास से गुजरा था। इस चट्टान में धरती पर पाई जाने वाली चट्टानों जैसे काफी कुछ समानता थी। ये धरती पर मौजूद ज्‍वालामुखी चट्टानों की तरह ही है। इसमें रोवर की तरफ की तरफ से कहा गया है कि वो यहां पर ऐसी चट्टानों को खोजने में जुटा है जिसमें अलग-अलग परत मौजूद हों और जिसमें जीवन के कुछ सुबूत मिल सकते हों। कुछ दिन पहले किए गए एक ट्वीट में रोवर ने अपने उस रूट की मैपिंग की जानकारी दी थी जिसके दायरे में रहकर वो जीवन के सुबूत तलाशने में जुुटा है। इसमें बताया गया था कि वो पहले दक्षिण में फिर उत्‍तर में यहां पर मौजूद डेल्‍टा के पास कुछ शोध करेगा, जहां माना जाता है कि कभी कोई नदी थी।

आपको बता दें कि नासा का परसिवरेंस रोवर लाल ग्रह के जेजीरो क्रेटर में 18 फरवरी 2021 को सफलतापूर्वक उतरा था। इस जगह का चयन पांच साल के अथक प्रयासों के बाद किया गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर कभी एक झील हुआ करती थी जो अब सूख चुकी है। वैज्ञानिकों को ये भी उम्‍मीद है कि यहां पर सूक्ष्‍म रूप में जीवन हो सकता है। ये क्रेटर करीब 45 किमी चौड़ा है। वैज्ञानिकों को यहां से कुछ ऐसे खनिजों की मौजूदगी का पता लगा है जो इसकी पुष्टि करते हैं। जिस जगह पर परसिवरेंस उतरा है वो जगह क्‍यूरोसिटी की लैंडिंग साइट से करीब 3700 किमी दूर है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि नासा का ये 9वां रोवर है जो मार्स पर सफलतापूर्वक उतरा है। इससे पहले नासा फोनेक्‍स, विकिंग-1, विकिंग-2, पाथफाइंडर, ऑपच्‍युनिटी, इनसाइट, क्‍यूरोसिटी, स्प्रिट को भी लाल ग्रह पर उतार चुका है।

गौरतलब है कि नासा के परसिवरेंस के साथ एक 2 किग्रा वजनी हेलीकॉप्‍टर भी मार्स पर भेजा गया था। इस ग्रह पर इसकी पहली उड़ान 19 अप्रैल 2021 को हुई थी। इससे पहले इसको चार पर विभिन्‍न कारणों से रोकना पड़ा था। इस उड़ान से ये साबित हो गया है कि नासा के वातावरण में उड़ान भरना संभव है। ये मार्स के भावी मिशन के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ है। अपनी पहली उड़ान के दौरान ये करीब 10 फीट की ऊंचाई तक गया था। धरती के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर उड़ान भरने वाला ये पहला हेलीकॉप्‍टर और पहला सफल मिशन भी है।