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हाथियों के भय से फसल चक्र अपनाने को मजबूर हुए किसान

धमतरी। किसानों की मानसिकता बदलने कृषि विभाग और प्रशासन सालों के प्रयास के बाद भी कामयाब नहीं हो पाए। मगर गजराज दलों की धमक और दहशत ने एक ही साल में मानसिकता बदल कर रख दी। वनांचल के अधिकांश किसान फसल चक्र अपनाने को मजबूर हो गए हैं। वे अब केवल धान की खेती नहीं करेंगे।

जिले केतीन ब्लाक केकरीब 50 गांवों के35 हजार हेक्टेयर रकबे में अब धान से तौबा कर उसकी जगह दलहन व तिलहन की खेती करेंगे।

यहां के किसानों का मानना है कि हाथी धान की फसल खाने केलालच में ही खेतों और गांवों में घुस आते हैं। वे फसल खाते हैं और नष्ट भी कर देते हैं।

साथ ही गांवों में घुसने के कारण लोगों की जान पर भी खतरा बना रहता है। अगर दलहन व तिलहन की फसल लगाएंगे तो हाथी उनके गांवों या खेतों तक नहीं आएंगे, क्योंकि दलहन की फसल छोटी होती है और वह हाथियों की सूूंड की पकड में नहीं आती है।

वर्ष 2016 में पहली बार गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र के जंगल से भटककर कर दो हाथी धमतरी शहर से लगे ग्राम रूद्री तक पहुंचे थे। उस समय छह किसानों की धान की फसल को नुकसान पहुंचाकर लौट गए। चार साल बाद वर्ष 2020-21 में 23 हाथियों का एक दल गरियाबंद जिले से होते हुए धमतरी जिले के50 गांवों तक पहुंच गया। यह दल गंगरेल बांध केडुबान क्षेत्र में करीब डे़ढ़ से दो माह तक ठहरा रहा, फिर लौट गया। कुछ माह बाद फिर 23 हाथियों का दल वापस आया।

इसके अलावा 18 हाथियों का दूसरा दल आ धमका। वर्ष 2021 में 41 हाथी नगरी और धमतरी ब्लाक के गांवों में लंबे समय तक अपना डेरा डाल दिया। इस दौरान हाथियों ने धान फसल को भारी नुकसान पहुंचाया।

किसान हाथियों केउत्पात से तंग आ गए। इसके बादफसली चक्र को अपनाकर दलहन और तिलहन में तिव़ड़ा, सरसों, उ़ड़द, मूंग, चना समेत अन्य फसल लेने लगे। यह फसल समय पर तैयार हो जाती है और कम उᆬंचाई होने के कारण हाथियों को सूंड में लपेटने में कठिनाई होती है।

इन गांवों केकिसान करेंगे खेती

धमतरी ब्लाक केहाथी प्रभावित ग्राम बेन्द्रानवांगांव, तुमाबुजुर्ग, विश्रामपुर, बोरिदकला, गंगरेल, रूद्री, सोरम, खि़ड़कीटोला, कसावाही, अरौद डुबान, चिखली, पहारियाकोन्हा, मोंगरी, कलारबाहरा, उरपुटी, माटेगहन, खड़मा, निरई, मोंगरागहन, मा़ड़मसिल्ली , मगरलोड केभोभलाबाहरा, सिंगपुर, मोहेरा, केकराखोली, सरईरूख, बोदलबाहरा और नगरी ब्लाक के ग्राम नाथूकोन्हा, कोटरवाही, मगौद, रिसगांव, भैंसामु़ड़ा, नगरी, संबलपुर, अमाली, छिपली, आमाबहार, जोरातराई, दुगली, मुनईकेरा, देवगांव, जबर्रा, गजकन्हार, कल्लेमेटा, बिरभदर, चारगांव, खरसा आदि गांव शामिल है

हाथियों को भाया गंगरेल बांध का मनोरम दृश्य

इन गांवों केप्रभावित किसान कौशल कुमार नेताम, रामकुमार कोडोपी, खम्हन सिंह मंडावी, हृदय लाल, रामसिंह गो़ड़, अंजोर सिंह और घसियाराम ने बताया कि धान फसल को हाथियों ने जमकर नुकसान पहुंचाया था। हाथियों को खाने के लिए धान फसल, रहने के लिए जंगल क्षेत्र और गंगरेल बांध का मनोरम दृश्य भा गया है, ऐसे में हर साल हाथियों के आने का भय है।

‘दलहन-तिलहन केछोटे फसल जैसे उ़ड़द, चना, मूंग, तिव़ड़ा को हाथी कम नुकसान पहुंचाएंगे। सूंड जमीन तक नहीं जाने के कारण कम खा पाएंगे, इसलिए इस साल हाथी प्रभावित किसानों को रबी में दलहन-तिलहन फसल लेने प्रेरित करेंगे।’

-जीएस कौशल, उपसंचालक कृषि धमतरी।