ब्रेकिंग
भगवान राम की भव्य एवं विराट शोभायात्रा पर सुशील शर्मा ने अपने साथियों के साथ की पुष्प वर्षा, भगवान राम की आरती कर उनका आशीर्वाद लेकर , जमकर रामभक्तो क... भाटापारा में धूमधाम से मना राम जन्मोत्सव, विधायक शिवरतन शर्मा भी डीजे की धुन पर थिरके भगवामय हुआ भाटापारा:रामनवमी पर निकाली शोभायात्रा, पूरा शहर ... भाटापारा:रामनवमी पर सनातनी धर्म सेना एवं हिंदू संगठनों ने निकाली भगवान राम भव्य शोभायात्रा, हज़ारों लोग हुवे शामिल विधायक शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में उठाए प्रश्नो एवं विकाश कार्यों की मांगों को लेकर की पत्रकारवार्ता किसानो का धान प्रति एकड़ २०क्वींटल ख़रीदी करेगी भूपेश सरकार-सुशील शर्मा किसानो की हमदर्द भूपेश सरकार-सुशील शर्मा छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह के घर से ईडी निकली बाहर, आरपी सिंह को ईडी अपने साथ दफ्तर ले गई छत्तीसगढ़ कांग्रेस नेता गिरीश देवांगन, देवेंद्र यादव, रामगोपाल अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल, विनोद तिवारी, आरपी सिंह के घर सुबह ईडी छापा छत्तीसगढ़। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी कांग्रेसी नेताओं घर में ईडी की रेड गिरीश देवांगन, रामगोपाल अग्रवाल, सन्नी अग्रवाल, विनोद तिवारी के घर पर पड... नजूल शाखा का भाटापारा से बलौदाबाजार जाना दुर्भाग्यपूर्ण -आशीष जायसवाल

किन-किन लोगों की सहमति से चल रहा है ओवर रेट शराब का अवैध कारोबार, ₹10 से लेकर ₹300 तक अधिक मूल्य में बिक रही शराब


भाटापारा। भाटापारा शहर की दोनों सरकारी शराब दुकानों में ओवर रेट शराब बिकने की काफी समय से लगातार शिकायत मिल रही है। जिसको लेकर शराब दुकान के बाहर पंडाल लगाकर धरना प्रदर्शन भी हो चुका है। उसके उपरांत भी ओवर रेट में शराब बिक्री में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार रहते कांग्रेसियों द्वारा ओवर रेट के लिए धरना प्रदर्शन, वहीं कांग्रेस के भाटापारा ब्लॉक अध्यक्ष द्वारा ओवर रेट की शिकायत पर अपना नंबर जारी कर शिकायत करने की बात कहना,इस भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाताहैं। प्रतिदिन हजारों रुपए की ओवर रेट की कमाई का हिस्सा किन-किन लोगों में बट रहा है? आम जनता के लिए समझना मुश्किल नहीं होगा! जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी,आबकारी विभाग के अधिकारी, क्षेत्र के विपक्ष के नेताओ तथा सत्ता पक्ष के नेताओं सभी की मौन सहमति ओवर रेट के भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दे रही है। ₹10 से लेकर ₹300 तक शराब में अधिक मूल्य वसूला जा रहा है। दोनों सरकारी दुकानों के बाहर सरकार की मूल्य सूची नदारद रहती है। जिससे ग्राहकों को उचित मूल्य का पता ही नहीं चल पाता है। वही वर्षों से जमे कर्मचारियों से मिलीभगत के चलते उनका ट्रांसफर नहीं होना। इस बात को स्पष्ट साबित करता है कि बड़े पैमाने पर सभी की मौन सहमति है।