जड़ी-बूटी से बनाया इम्युनिटी बुस्टर और कमा रहे लाखों
रायपुर। वनौषधियों के व्यापार से छत्तीसगढ़ के गांवों की महिलाओं का एक समूह साल में 20 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहा है। कोरबा की पाली तहसील के डोंगानाला गांव की वे आदिवासी महिलाएं जो कभी मजदूरी करती थीं आज वनौषधियों का कारोबार कर आत्मनिर्भर बन गई हैं। वे जंगलों से जड़ी-बूटी लाकर 18 किस्म की दवाइयां बना रहीं हैं।
ये महिलाएं मधुमेह नाशक, सर्दी-खांसी, त्वचा संबंधी और इम्युनिटी बूस्टर दवाइयों का उत्पादन कर रहीं हैं। हरीबोल स्वसहायता समूह की 12 महिलाओं ने 44 लाख रुपये का कारोबार किया, जिससे उन्हें 20 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। वनौषधि संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विक्रय करने के बाद प्रत्येक सदस्य को एक साल में एक लाख 71 हजार रुपये की आमदनी हुई।
हरीबोल समूह की सदस्य सरोज पटेल ने बताया कि उनके समूह ने जंगल में मिलने वाली जड़ी-बूटियों, फूल पत्तियों को गरीबी को जड़ से मिटाने का माध्यम बना लिया है। सरोज ने अपने गांव की दूसरी महिलाओं को भी समूह में इस काम से जोड़कर आर्थिक मजबूती की ओर अग्रसर कर रहीं हैं। सरोज ने बताया कि पहले महिलाओं द्वारा गांव में मजदूरी का काम करके एक महीने में केवल 500 से 600 रुपये की कमाई होती थी।
30 रुपये रोजी से शुरू कर आज 200 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी सभी महिलाएं प्राप्त कर रहीं हैं। समूह की महिलाओं ने व्यवसाय को आगे बढ़ाकर अगले वर्ष दो से ढाई करोड़ रुपये का करोबार करने की योजना बनाई है। सरोज ने बताया कि वन धन विकास केंद्र के माध्यम से वनौषधियों का करोबार कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने की तारीफ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समूह के महिलाओं की लगन की तारीफ की। महिलाओं को इतने बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटी से दवाइयां बनाकर बड़ा कारोबार खड़ा करने की जानकारी मिलने पर प्रसन्न्त जाहिर की। साथ ही उन्होंने समूह के व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया।