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राष्ट्रपति ने जताई जनजातीय समाज के विकास की चिंता, कहा- मदद ना कर सका तो पद पर रहने का कोई औचित्य नहीं

जबलपुर। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने जनजातीय समाज के बेहतर विकास की चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार बेहतर प्रयास कर रही है। आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा क्षेत्र हो या सामाजिक दृष्टि से, समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के लिए यदि वह कुछ न कर सके तो राष्ट्रपति रहने का कोई औचित्य नहीं बनता।

राष्ट्रपति मध्य प्रदेश के दमोह जिले के सिंग्रामपुर में रविवार को राज्यस्तरीय जनजातीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया था। इसके पीछे भाव यह था कि जब हम समाज के सभी वर्गों के लिए कुछ करते हैं, तो सबसे पीछे खड़ा जनजातीय व्यक्ति उस लाभ से वंचित रह जाता है। इसलिए केवल जनजाति के विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया।

आदिवासियों के गौरव को किया याद

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में रानी दुर्गावती और राजा शंकर शाह को याद किया। कहा कि रानी दुर्गावती ने आत्म गौरव की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। राजा शंकर शाह को अंग्रेजों का विरोध करने के कारण मृत्युदंड दिया गया था। समारोह में जनजातीय विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाने के लिए दोनों अमर शहीदों की स्मृति में पुरस्कार दिए गए। राष्ट्रपति ने रानी दुर्गावती के शासनकाल में बने सिंगौरगढ़ किले के जीर्णोद्धार के कार्यो का शिलान्यास किया। इसके लिए 24 करोड़ रुपये पेट्रोलियम मंत्रालय और छह करोड़ की राशि केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय की ओर से दी गई है।

नेशनल ट्राइबल टूरिज्म हब बनाएं

राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल से आग्रह किया कि मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र को नेशनल ट्राइबल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करें। साथ ही, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, बघेलखंड और महाकोशल की सांस्कृतिक विरासत को विशेष पहचान दिलाएं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि जनजातीय समुदाय अद्भुत प्रतिभा का धनी होता है। इनके विकास को दिशा देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि रानी दुर्गावती के गौरवशाली बलिदान दिवस को तीन दिन तक मनाया जाएगा।