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आसमान को छूने वाला कोरबा का अमोघ हिमाचल के पहाड़ों में दफन

कोरबा: स्व. लेफ्टिनेंट अमोघ बापट एक ऐसे जांबाज अफसर थे, जिनमें रोमांच और चुनौतियों का पीछा करने का जज्बा था। समुंदर की गहराइयों को नापने का हुनर तो था ही, अपने अद्वितीय हुनर से उन्होंने आसमान को छू लिया। नेवी में अपने महज चार साल के करियर में देश को एक बड़े नुकसान से बचाकर उन्होंने सिनकेन अवार्ड हासिल किया। इसके कुछ दिनों बाद ही वे हिमाचल के पहाड़ों में नए रोमांच की तलाश करते हमेशा के लिए दफन हो गए।

हिमाचल प्रदेश में 22 जुलाई को हुई भू-स्खलन की प्राकृतिक आपदा में भारतीय नौ सेना के युवा अफसर लेफ्टिनेंट अमोघ बापट का दुखद निधन हो गया। हर पल चेहरे पर सुकून वाली मुस्कान लिए हर एक के दिल पर अपना छाप छोड़ने वाले युवा लेफ्टिनेंट अमोघ बापट की जिंदादिली से हर कोई प्रभावित था। वे भारतीय नौसेना के ऐसे पहले होनहार अफसर रहे, जिन्होंने पूरे नेवी में पहली बार डोर्नियर विमानों का अंदमान बेस पर ओवरआल मेडन डीप रिपेयरिंग किया।

इससे पहले तक कल-पुर्जे अपडेट करने और फिर से उड़ने लायक बनाने सारे एयरक्राफ्ट हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) बैंगलुरू भेजे जाते थे। अपने काम का हिस्सा नहीं होते हुए भी अमोघ ने अपने सीइओ को विश्वास में लिया और उस वक्त यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली, जब सीमा पर चीनी घात लगाए मौके का इंतजार कर रहे थे।

अमोघ ने अपनी टीम के साथ डोर्नियर विमानों का डीप मेंटेनेंस किया और अंदमान बेस पर ही उन्हें उड़ने के काबिल बनाया। इस तरह उन्होंने न केवल पहली बार यह कमाल कर दिखाया, देश के लिए साढ़े तीन करोड़ से अधिक की बचत की। बापट को इस अनुकरणीय कार्य के लिए सात जुलाई को आन द स्पाट प्रशस्ति प्रदान किया गया। यह प्रशस्ति उन्हें अंदमान निकोबार बेस के कमांडर इन चीफ ने प्रदान किया था।

अमोघ बापट को सिनकेन (कमांडर इन चीफ अंदमान एंड निकोबार) दिया गया। अमोघ को साधारण नौकरी नहीं, चुनौतियों की तलाश रही। कैंपस चयन में अमोघ टीसीएस जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में भी चुने गए थे। इस नौकरी में मोटा पैकेज और सुनहरा करियर भी उन्हें लुभा सका और उन्होंने आराम को त्यागकर नेवी का अनवरत संघर्ष चुना।

सिनकेन अवार्ड मिलने के बाद अपनी खुशी साझा करते हुए 12 जुलाई को लेफ्टिनेंट अमोघ ने यह संदेश भारतीय नौसेना के सेवानोवृत्त कमांडर शेन स्टीफेंस को भेजा था। उन्होंने लिखा था- ‘सुप्रभात अंकल, मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि मुझे हाल ही में आइएनएस उत्क्रोश (पोर्ट ब्लेयर) में नौसेना डोर्नियर के प्रथम 12 मासिक प्रमुख निरीक्षण करने के लिए आन स्पाट कमांडर-इन चीफ अंडमान और निकोबार बेस (सिनकेन) प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है, जिससे अन्य खूबियों के अलावा सेवाओं और नौसेना के 3.5 करोड़ से अधिक की बचत हुई।

सीमा पर चीनी खड़े हैं, देश को मेरी जरूरत थी

लेफ्टिनेंट बापट ने पूरे नेवी में पहली बार अंदमान में पहली बार डीप रिपेयर ओवरआल किया। इसके पहले सारे एयरक्राफ्ट एचएएल बैंगलुरू जाते थे। उनकी इस सफलता के लिए उन्हें सिनकेन अवार्ड दिया गया। जब कभी कोई ऐसा प्रतिष्ठित पुरस्कार देना होता है, तो उसके पहले पूरा इंटरव्यू होता है, जिसमें तीनों सेनाओं के कमांडर बैठकर पुष्टि करते हैं। अमोघ का भी इंटरव्यू हुआ तो उनसे पूछा गया कि क्या डार्नियर का डीप मेंटेनेंस उनकी जिम्मेदारी के अंतर्गत था।

अमोघ ने कहा नहीं, यह कार्य उनके प्रोटोकाल या ड्यूटी के पार्ट में नहीं था। तो फिर ऐसा क्याें किया, तो उन्होंने जवाब दिया कि ये हवाई हवाई जहाज मेरे हैं, मेरे देश के हैं और मैं भी यहां अपने देश की सेवा के लिए ही पदस्थ हूं। यह मेरा काम है कि मेरे बेस के सारे हवाई जहाज फिट हों, उड़ने के लिए सक्षम हों। उनके नहीं उड़ पाने की स्थिति निर्मित होना हमारे देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं, जबकि मौके की तलाश में चीन बार्डर पर घात लगाए खड़ा है। इसलिए मैंने अपने सीइओ से आग्रह किया कि वह विमानों को ठीक कर उड़ने के काबिल बना सकते हैं।

मैंने जो उपकरण मांगे, वह उपलब्ध कराया गया और आप देख सकते हैं कि हमारे जहाज फिट हैं और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं। तब उन्होंने माना कि थोड़ा आउट आफ वे हुआ पर यह देश के हित में था, जिसे प्रोत्साहित करते हुए अमोघ को वह पुरस्कार दिया गया। यह कोई भी कर सकता था, पर अमोघ वह अफसर रहे, जिन्होंने नेवी में यह दायित्व उठाते हुए पहला कदम उठाया। समुद्री सीमा का निरीक्षण व संरक्षण करना डोर्नियर का काम है।

सजा मिलती तो हंस देता, फिर बड़ी सजा

पिता प्रशांत ने कहा कि शायद ही किसी ने कभी अमोघ को रोते या मायूस होते देखा हो। मां प्रवीणा बापट व भाई अनुपम का कहना है कि वह शिक्षा के साथ टेबल टेनिस, बैडमिंटन, स्विमिंग, पेंटिंग, सिंगिंग, स्टोरी टेलिंग, फेंसी ड्रेस सब में भाग लेना और उनमें आनंद उठाना ही उसकी पसंद थी। स्टीवंस ने बताया कि अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान जब कभी उसे कैडेट के रूप मं सजा मिलती, तो वह हंस देता। इसके लिए उन्हें और भी बड़ी सजा दी जाती। वह तो अपनी सजा में भी रोमांच ढूंढ लेता और उसमें भी आनंद महसूस करता।

सेना में शौर्य कमाने के पहले चरम संघर्ष

अमोघ के पिता प्रशांत बापट ने कहा कि डिफेंस में हम बाहर से जो शौर्य और आनंद देखते हैं, उसे पाने से पहले वे कितना संघर्ष कर चुके होते हैं, यह समझना जरूरी है। यह उनके बाल मित्र व भारतीय नौसना के सेवानिवृत्त अफसर कमांडर स्टीवंस ने अमोघ को समझाया। उन्होंने बताया कि अगर जीवन में रोमांच चाहिए, तो नेवी में आ जाओ। नेवी की लाइफ रोमांचक है और संघर्षपूर्ण भी। उनकी एक आइडियोलाजी होती है कि कल क्या होगा, यह किसी ने नहीं देखा है। इसलिए आज जो है, उसमें आप भरपूर खुशियां बांट लो और वह शुरू से ऐसा ही था।

टीसीएस का टेबल वर्क छोड़ नेवी का चैलेंज

लेफ्टिनेंट बापट ने बीआइटी दुर्ग, में इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन से बीई की डिग्री पाई। कमांडर (सेवानिवृत्त) स्टीफेंस ने बताया कि किसी साधारण नौकरी नहीं, अमोघ को चुनौतियों की तलाश रही। कैंपस चयन में अमोघ टीसीएस जैसी मल्टीनेशनल कंपनी में भी चुने गए थे।

इसमें आराम की नौकरी के साथ मोटा पैकेज और सुनहरा करियर भी उन्हें लुभा सका। पर उन्होंने आराम को त्यागकर नेवी का अनवरत संघर्ष चुना। उसे पाने अमोघ ने कई बाधाओं को पार भी किया। वह कुछ ऐसा था कि हारेंगे, गिरेंगे, उठेंगे, हसेंगे और फिर लड़ेंगे। यही पैशन हर युवा में होना चाहिए। अमोघ को देखकर ऐसा लगता कि मैं फिर से जवान हो गया हूं।

कमाल के अफसर- कठिन पोस्टिंग पर जाने को उत्सुक

आइएमए एडिमला से पास आउट अमोघ की पोस्टमेट लेफ्टिनेंट शुभांगी आइएनएस उत्कर्ष में पदस्थ हैं। उन्होंने कहा कि लेफ्टिनेंट अमोघ बापट अत्यंत प्रतिभाशाली थे। उनके जैसा अफसर मैंने दूसरा नहीं देखा। उनके चेहरे की मुस्कान ही उनकी पहचान थी।

उनकी सकारात्मकता सभी को प्रभावित व प्रेरित करती। उनके जैसा इंसान पूरी दुनिया में दूसरा नहीं। अपने काम व खेल-कूद में भी वे उतने ही कुशल रहे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग आइएनएस बाज अंदमान निकोबार में थी, जिसके पहले वे पोर्टब्लेयर में थे। काफी कठिन परिस्थितियों वाली पोस्टिंग के बाद भी उनकी उत्सुकता देखते ही बनती थी। उनका जाना हमारी पूरी यूनिट के लिए अपूरणीय क्षति है।