एमआर9 से नवलखा के बीच एलिवेेटेड रोड पर अभी भी अनिर्णय की स्थिति
इंदौर। बीआरटीएस कारिडोर पर एमआर-9 जंक्शन के पास से नवलखा के बीच प्रस्तावित एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर अभी भी अनिर्णय की स्थिति है। एलिवेटेड रोड को लेकर यह तय होना है कि ब्रिज पर आइ-बसें चलाई जाएं या सामान्य श्रेणी के वाहन चलाए जाएं। पीडब्ल्यूडी की वर्तमान योजना में बस लेन को नीचे रखने और ऊपर से सामान्य वाहन गुजारने का प्रस्ताव है।
बंगाली फ्लाईओवर को लेकर जून अंत में भोपाल में हुई बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव से जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में भी चर्चा की थी। तब मंत्री ने इस मामले का निर्णय स्थानीय स्तर पर करने का आग्रह किया था और कहा था कि एलिवेटेड रोड के प्रोजेक्ट को लेकर जनप्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों से चर्चा कर फैसला करें। बैठक हुए दो महीने का समय पूरा होने वाला है, लेकिन अब तक तो इस मामले में कोई हलचल नहीं है। न तो जनप्रतिनिधियों को इतने बड़े प्रोजेक्ट की चिंता है, न अफसरों को। इंदौर के एलिवेटेड प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय सड़क निधि से 325 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है। स्वीकृति के आधार पर पीडब्ल्यूडी ने निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एजेंसी को काम सौंप दिया है, लेकिन उसका स्वरूप तय नहीं होने से प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
आइडीए के प्रोजेक्ट का करना है अध्ययन
एलिवेेटेड रोड का एक प्रोजेक्ट आइडीए ने भी बनाया था। उसमें बस लेन ऊपर रखने का प्रस्ताव था। पीडब्ल्यूडी को उस प्रोजेक्ट का अध्ययन करना है। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में पीडब्ल्यूडी ने आइडीए के प्रोजेक्ट की डिजाइन आदि जानकारी ले ली है। बस लेन ऊपर करने में सबसे बड़ी परेशानी बस स्टेशन और वहां आने-जाने के लिए बनने वाले एस्केलेटर, लिफ्ट और सीढ़ियों की है। इससे न केवल प्रोजेक्ट की लागत बढ़ेगी, बल्कि जगह-जगह सीढ़ियां-एस्केलेटर बनने से बीआरटीएस कारिडोर पर भी दिक्कतें बढ़ेंगी।