पंचायतकर्मियों की मांग, कर्मचारियों का निलंबन और एफआइआर वापस लें
भोपाल। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारी शासन पर निलंबन व पुलिस में दर्ज रिपोर्ट वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। ये कर्मचारी 19 जुलाई से 5 अगस्त तक हड़ताल पर थे। तब शासन ने कोरोना नियंत्रण के नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर प्रदेश भर में करीब 1500 से अधिक कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन व एफआइआर दर्ज कराने की कार्रवाई की थी। अब ये कर्मचारी शासन पर दबाव बना रहे हैं कि उन पर की गई कार्रवाई वापस ली जाए1 इस संबंध में अब तक शासन की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। जिन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है, उनमें जनपद के लिपिक, उपयंत्री, सहायक यंत्री, योजना प्रभारी और पंचायतों के सचिव व रोजगार सहायक शामिल है।
मप्र रोजगार सहायक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोशन सिंह परमार का कहना है कि कर्मचारी संयुक्त मोर्चा बनाकर वैधानिक मांगों के लिए विरोध दर्ज करवा रहे थे। मृतक सचिव व रोजगार सहायकों के परिवार के सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति देने, रोजगार सहायकों को स्थाई करने, वेतन बढ़ाने, सुविधाएं देने, संविदा कर्मियों को नियमित करने जैसी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन व हड़ताल की। इस बीच सरकार से बातचीत भी चल रही थी। अचानक दो अगस्त के बाद से कार्रवाई करनी शुरू कर दी। दिन में हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर रातोंरात प्रकरण दर्ज कर दिए गए। आरोप लगाया कि कोरोना नियंत्रण की गाइडलाइनों का पालन नहीं किया गया। जबकि हड़ताल में भीड़ नहीं जुटाई गई, जनपद व पंचायत स्तर पर कर्मचारी अलग-अलग अपनी-अपनी बातें रख रहे थे। फिर भी उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज करा दिए गए हैं। विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने चर्चा में कहा था कि कर्मचारियों पर दर्ज प्रकरणों को वापस ले लेंगे। अब प्रतिनिधि मंडल कलेक्टरों के पास जा रहे हैं तो वहां से कहा जा रहा है कि शासन स्तर से कोई पत्राचार नहीं हुआ है। जब तक शासन से कोई आदेश, निर्देश नहीं मिल जाते तब तक कार्रवाई वापस नहीं लेंगे। रोशन सिंह परमार व अन्य प्रतिनिधियों ने शासन से कर्मचारियों के साथ न्याय करने की मांग की है।