भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर होगी शोधपीठ की स्थापना
बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में अब जल्द पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटलजी के नाम पर शोधपीठ की स्थापना होगी। मंगलवार को कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी ने इसका एलान किया। राज्यपाल व कुलाधिपति अनुसुईया उइके ने आनलाइन उपस्थिति में इस कदम की सराहना की। मंगलवार को विश्वविद्यालय में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया था।
मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुईया ने अटलजी के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि ‘कदम मिलाकर चलना होगा” अर्थात हम सभी को साथ-साथ मिलकर राष्ट्रहित और जनहित के कार्य को करना होगा। कुलपति प्रो. वाजपेयी ने कहा कि अटलजी कवि हृदय, महान चिंतक, विचारक, राष्ट्रवादी व्यक्तित्व के धनी रहे। उन्होंने कभी भी अन्याय का पक्ष नहीं लिया। विपक्ष ही क्यों ना हो उन्होंने विपक्ष की न्याय पूर्ण बातों का भी समर्थन किया, इसीलिए उन्हें भारतीय राजनीति में अजातशत्रु के नाम से भी जाना जाता रहा है।
जिनकी प्रशंसा शत्रु भी करते थे। विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय अमरकंटक मध्य प्रदेश के कुलपति प्रकाश मणि त्रिपाठी ने अटलजी को सर्व समावेशी राजनीति के संवाहक की संज्ञा दी और कहा कि वे सीधे जनमानस तक पहुंचने की कला जानते थे। उनका उद्देश्य सभी की सहभागिता और कुशलता निश्चित करना था। वह जन-जन के नायक थे। कार्यक्रम में प्रो.एचएस होता, सहायक प्राध्यापक सौमित्र तिवारी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी व शिक्षक उपस्थित थे।
अटलजी सामंजस्य के पक्षधर थे: पूर्व राज्यसभा सदस्य महेश
मुख्य वक्ता पूर्व राज्यसभा सदस्य महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि अटलजी विपक्ष के नेता के तौर पर भी जब केंद्र में नेहरूजी की सरकार थी तब भी वे सामंजस्य पूर्ण राजनीति के पक्षधर रहते थे। वे विपक्ष के नेता के रूप में सरकार के देशहित व जनहित कार्यों का पूर्ण समर्थन करते थे।