गिरौदपुरी धाम को जिला बनाने की मांग हुई तेज
रायपुर। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार नए जिले बनाने की घोषणा कर सतनामी समाज के बरसों पूरी मांग को अनसुना कर दिया है। सतनामी समाज की मांग थी कि संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा जी के नाम से एक पृथक से जिला बनाया जाए, लेकिन सरकार ने बिलाईगढ़ को सारंगढ़ में शामिल कर संयुक्त जिला बनाने के ऐलान कर न सिर्फ लाखों अनुयायियों की आस्था को ठेंस पहुंचाई है, बल्कि समाज के लोगों की उपेक्षा भी की है।
उक्त बातें मंगलवार को अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व कांग्रेस सांसद रेशम लाल जांगड़े के सुपुत्र हेमचंद्र जांगड़े ने अपने रायपुर स्थित आवास में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। हेमचंद्र जांगड़े ने चार नए जिले के गठन के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सारंगढ़ जिले के रूप में अस्तित्व में अविभाजित मध्यप्रदेश की दिग्विजय सरकार के दौरान ही आ जाता।
मगर, किसी कारण से यह अब तक वंचित रहा। आने वाले दिनों में अगर सरकार ने सारंगढ़ जिले से बिलाईगढ़ को नहीं हटाया, तो समाज के साथ-साथ इसका दर्द यहां के आदिवासी इलाके भी झेलेंगे। जांगड़े ने कहा कि सरकार को अपना फैसला बदलकर गिरौदपुरी को जिला घोषित कर बिलाईगढ़ और कसडोल को उसमें शामिल करना चाहिए। ऐसा नहीं होता है तो आने वाले दिनों में सतनामी समाज के लोग आंदोलन कर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होंगे।
बताते चलें कि 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार नए जिले और 18 तहसीलों की सौगात दी है। राजनांदगांव जिले का मोहला-मानपुर नया जिला बनेगा। जांजगीर-चांपा से अब सक्ती, कोरिया से मनेंद्रगढ़ और रायगढ़-बलौदाबाजार से अलग सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की घोषणा की गई।