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पहले अल्प वर्षा, फिर बाढ़ के कारण पिछड़ी बोवनी, अब खेतों में लौटे तो नहीं मिल पा रही खाद

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ के बाद अब किसान खाद संकट से जूझ रहे हैं। पहले बारिश कम होने और इसके बाद बाढ़ की वजह से किसान बोवनी से पिछड़ गए हैं। अब मांग के तुलना में खाद और डीएपी की कमी से कालाबाजारी बढ़ रही है, वहीं तीन-तीन दिन तक लाइन में लगे रहने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रहा है। हालत यह है कि पुरुष बाढ़ से प्रभावित खेतों को दोबारा ठीक कर बोवनी करने की तैयारी में जुटे हैं तो वहीं महिलाओं तक को सोसायटियों पर लाइन में लगना पड़ रहा हैं। ग्वालियर के डबरा-भितरवार में पुलिस की मौजूदगी में खाद का वितरण कराना पड़ा रहा है। हर दिन सोसायटियों पर करीब 400 से 500 लोग खाद लेने लाइन में लगे नजर आते हैं। किसानों का कहना है कि तीन दिन से लाइन में लगे हैं। कहीं नंबर न कट जाए इसलिए महिलाए काम काज छोड़कर लाइन में लगने पर मजबूर हैं। मुरैना के प्रभारी उप संचालक कृषि, बीडी नरवरिया ने बताया कि जिन-जिन दुकानदारों की शिकायत आ रही है, उन पर औचक छापामार कार्रवाई करवाकर केस दर्ज करवाएंगे। सोसायटियों से रिकार्ड भी मंगवाया जा रहा है।

अंचल में जिलाें की स्थितिः

मुरैना: खरीफ सीजन में 2 लाख 22 हजार 957 हेक्टेयर जमीन में फसल की बोवनी हुई है। फसलों के लिए 36225 मीट्रिक टन यूरिया खाद की जरूरत है, अभी खाद की मांग का पीक समय है, पर जिले को 22,786 मीट्रिक टन ही यूरिया मिला है। कई सोसायटियों ने पूरा खाद बांटा ही नहीं, नतीजा यह है कि मुरैना शहर की खाद दुकानों से यूरिया खाद का एक बोरा 320 से 350 रुपये तक में बिक रहा है, जबकि यूरिया का सरकार द्वारा निर्धारित दाम 266 रुपये 68 पैसे है। डीएपी खाद की मांग 20 हजार मीट्रिक टन रखी गई थी, लेकिन मांग की तुलना में मात्र 8407 मीट्रिक टन डीएपी खाद ही दिया गया है। इस कारण 1200 रुपये के दाम वाला डीएपी खाद का बोरा बाजार में 1250 रुपये में से बिक रहा है।

श्योपुर: खरीफ की फसल के लिए यूरिया की कुल मांग 10 हजार मीट्रिक टन की है, जबिक उपलब्ध यूरिया 5403.94 मीट्रिक टन ही है। निजी दुकानदार व डिपो वाले अब कालाबाजारी कर यूरिया के प्रति बेग पर 35 से 50 रुपये अधिक ले रहे हैं। डीएपी खाद की डिमांड 10450 मीट्रिक टन है। जबिक 4914 मीट्रिक टन ही उपलब्ध है।

भिंड: लक्ष्य एक लाख हेक्टेयर रखा गया है। वर्तमान में तीन हजार मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है। जिसमें से दो हजार मीट्रिक टन डीएपी स्टाक में है। हालाकि बोवनी लेट होने की वजह से फिलहाल जिले में डीएपी की ज्यादा किल्लत नहीं है।

दतिया: यूरिया की कुल मांग 19000 मेट्रिक टन की है। कृषि विभाग द्वारा 8000 मीट्रिक टन यूरिया बांटा जा चुका है। वर्तमान में यूरिया का भंडारण विभाग के पास 4639.40 मीट्रिक टन ही है। डीएपी खाद वितरण के लिए 15000 मेट्रिक टन की मांग है। 5410 मैट्रिक टन डीएपी खाद अभी तक किसानों को बांटा गया है। 3000 मीट्रिक टन डीएपी खाद की मांग कृषि विभाग ने शासन से की है, परंतु कोई स्वीकृति नहीं आई है। वर्तमान में डीएपी खाद का भंडारण विभाग के पास 1525 मीट्रिक टन का है।