पुण्य का उदय होने पर ही धन का भोग संभव- साध्वी हंसकीर्ति
रायपुर: कार्य तभी सफल होते हैं, जब व्यक्ति के पुण्य प्रबल हों। पुण्य का उदय होने पर ही धन का भोग संभव है। व्यक्ति यदि पुण्यशाली न हो तो अरबों-खरबों की संपत्ति होने पर भी वह उसका सुख नहीं भोग पाता। सुखी रहना है, तो पुण्य करें। यह संदेश विवेकानंद नगर स्थित श्री ज्ञानवल्लभ उपाश्रय में साध्वी हंसकीर्ति ने दिया। साध्वी श्री ने कहा कि सम्यक दर्शन वो रत्न है जो चिंतामणि और पारसमणि जैसे बहुमूल्य रत्नों से भी अधिक मूल्यवान है।
धन-दौलत तो इसी भव तक आपके साथ रहेगी। यह देह छोड़ने के साथ ही धन और संपत्ति इसी लोक में रह जाएगी। साथ कुछ भी नहीं जाएगा। लेकिन एक बार सम्यक रूपी रत्न मिल गया, तो जन्मों जन्म तक आपका साथ देगा। जीवन में सम्यक दर्शन का प्रकाश आएगा तो आत्मा प्रकाशित हो उठेगी और सम्यक कहीं मलिन हुआ तो आपका जीवन भी मलिन हो जाएगा। इसलिए अच्छे कर्म करें और दान-पुण्य को जीवन में जरूर शामिल करें।
जिनमत पर कभी शंका नहीं करना चाहिए। मरने के बाद स्वर्ग-नरक किसने देखा, ऐसा कहना भी परमात्मा के वचनों पर शंका करना है। हम तीर्थंकरों पर शंका नहीं कर सकते, क्योंकि उन्होंने मोहनीय कर्म का क्षय कर राग, द्वेष, मान, मोह आदि कषायों का अंत कर पूर्ण ज्ञान को प्राप्त कर लिया है। जहां पूर्ण ज्ञान होता है, वहां शंका नहीं होती। जिस प्रकार कोई अपंग आदमी अकेला समुद्र पार नहीं कर सकता, उसी प्रकार परमात्मा पर अटूट श्रद्धा के बिना आत्मा भव सागर को पार नहीं कर सकती।