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सिम्स में प्राध्यापकों की कमी, जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

बिलासपुर। सिम्स में नियमित शैक्षणिक कर्मचारियों व प्राध्यापकों की कमी को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले की सुनवाई के दौरान शासन का जवाब आने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रतिजवाब प्रस्तुत करने कहा है। इसके लिए याचिकाकर्ता को चार सप्ताह का समय दिया गया है। बिलासपुर निवासी विकास श्रीवास्तव ने अधिवक्ता अखंड प्रताप पांडेय के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि सिम्स में नियमित शैक्षणिक कर्मचारियों व प्राध्यापकों की बेहद कमी है।

इसकी वजह से मेडिकल छात्रों को भी परशानी हो रही है और उनका पढ़ाई प्रभावित हो रहा है। महत्वपूर्ण विषयों के प्राध्यापक नहीं होने के कारण उनका अध्ययन प्रभावित हो रहा है। शासन व सिम्स प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। याचिका में बताया गया कि तकनीकी अधिकारियों व विशेषज्ञों की कर्मी के कारण सिटी स्केन सहित अन्य तरह की जांच के लिए मरीजों को बाहर भेजा जाता है। इस तरह की अव्यवस्था को भी दुस्र्स्त करने की जरूरत है।

ताकि लोगों को निजी संस्थानों में न जाना पड़े और कम खर्च में जांच की सुविधा उपलब्ध हो सके। याचिका में चिकित्सा व्यवस्था को संवैधानिक अधिकारी बताया गया है। साथ ही शासकीय व मेडिकल कालेजों में इस तरह की सुविधाएं अनिवार्य करने के संबंध में निर्देशों का हवाला भी दिया गया है। इस प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार से जवाब मांगा था।

गुस्र्वार को इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा की युगलपीठ में हुई। इस दौरान शासन की ओर से जवाब में बताया गया कि सिम्स में अनुबंध के माध्यम से व्यवस्था ठीक कराई जा रही है। इस जवाब के बाद याचिकाकर्ता को प्रतिजवाब प्रस्तुत करने कहा गया। इस पर कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह का समय दिया है। प्रकरण की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।