मतांतरण को लेकर थाने में हुई मारपीट दुर्भाग्यपूर्ण घटना, लेकिन टटोलनी होगी वजह
रायपुर। मतांतरण के मुद्दे पर रायपुर स्थित पुरानी बस्ती थाना परिसर के अंदर रविवार को हुई मारपीट तथा प्रदर्शन की घटना काफी गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है। थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों ने जो आक्रामकता दिखाई, उससे अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं। कार्रवाई करने वालों के हाथ किन्हीं-न-किन्हीं कारणों से बंधे हुए थे, जिसके कारण एक तरफ थाने के अंदर ईसाई समुदाय के लोग प्रार्थना कर रहे थे तो दूसरी तरफ थाना परिसर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ चलता रहा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार ने पूरे घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाया और थाना प्रभारी को लाइन हाजिर करने के बाद एसएसपी अजय यादव को भी पुलिस मुख्यालय भेज दिया।
घटनाक्रम के अनुसार, पुरानी बस्ती के लोग भटगांव इलाके में मतांतरण के खिलाफ लगातार शिकायत कर रहे थे, जिसके आधार पर पुलिस ने संबंधित पक्ष के लोगों को पूछताछ के लिए थाने में बुलाया था। कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निश्चित तौर पर पुलिस की थी और कार्रवाई में कहीं-न-कहीं शिथिलता रही, जिसके कारण स्थिति दोनों पक्षों के बीच मारपीट तक पहुंची। यहां प्रलोभन के जरिए मतांतरण कराने का आरोप लगाने वाले बहुसंख्यक समाज के नेताओं को अपनी भूमिका के बारे में भी विचार करना चाहिए।
यह पड़ताल करना जरूरी है कि उनके समाज के लोग किन कारणों से लोभ के शिकार हो रहे हैं। मतांतरण के पीछे बड़ी समस्या समाज में इज्जत नहीं मिलने और भेदभाव से जुड़ी है। जो लोग मानते हैं कि मतांतरण नहीं होना चाहिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के पिछड़े लोगों को पर्याप्त संरक्षण दें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें। यह स्थापित कर पाना बहुत ही कठिन काम है कि किस-किस तरह से प्रलोभन दिया जाता है। भारतीय संविधान सभी को धार्मिक स्वतंत्रता और अपने धर्म के प्रचार की इजाजत देता है।
ऐसे में मतांतरण को मारपीट और हिंसा के बल पर नहीं रोका जा सकता। बेहतर उदाहरणों और प्रयासों से ही समाज को जोड़े रखा जा सकता है। समाज के वंचितों के हितों को संरक्षित किए जाने पर ऊर्जा खर्च करने की जरूरत है। पुलिस अधिकारियों के तबादले से यह संदेश जरूर गया है कि शिथिलता दिखाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी, परंतु यह नहीं माना जाना चाहिए कि यह घटनाक्रम ही रायपुर के एसएसपी अजय यादव के तबादले का एकमात्र कारण रहा होगा।
इसे परिस्थितिगत कारण भी माना जा सकता है। तबादले के अन्य कारण भी होंगे। सरकार ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहेगी, जिससे प्रतीत हो कि उससे पुलिस का मनोबल गिरेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशा-निर्देशों के अनुसार पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होगी तथा दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित होगी, ताकि शांत प्रदेश का माहौल बिगाड़ने वाले किसी भी तरह सफल न हों।