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वाह! MP के इस स्कूल में बच्चे ही शिक्षक, बच्चे ही छात्र, फिर भी सरकारें कहती हैं की शिक्षा में हम नंबर वन!

गाडरवारा: प्रदेश की शिवराज सरकार शिक्षा व्यवस्था सुधारने के कितने भी दावे करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में एक सरकार स्कूल ऐसा है जहां बच्चे ही शिक्षक हैं। मतलब ये है कि उस स्कूल में पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक ही नहीं है। गाडरवारा के चारगांव खुर्द मे बने इस स्कूल में हर सुविधाएं जैसे शिक्षकों को बैठने के लिये गद्दे वाली कुर्सी टेबल, करोडों की बिल्डिंग बनाई गई है। लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण था वो इस स्कूल में है ही नहीं… वो है शिक्षक। ऐसे में देखा जाए तो ये देश का इकलौता ऐसा स्कूल है जहां पढ़ने के लिए तो छात्र हैं लेकिन वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं है।

जब शिक्षक नहीं तो इन नौनिहालों ने आपस में एक दूसरे को पढ़ाने का जिम्मा उठा लिया। जब हमारी टीम इस सरकारी स्कूल पहुंची तो बच्चे ही एक दूसरे को पढाते दिखे। एक दूसरे की मदद करते दिखे। लेकिन वो नहीं दिखे जिन पर इनके भविष्य की जिम्मेदारी है। जब हमने इस बारे में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से बात की, तो साहब कैमरे के आगे डींगे हांकने लगे।

आपको बता दें कि यह देश के वह सरकारी स्कूल है, जहां गरीबों के बच्चे इस आशा में पढ़ते हैं कि वह अपने भविष्य को तराश पाएंगे और अपने माता-पिता को इस गरीबी से बाहर निकाल पाएंगे। यह वही सरकारी स्कूल है जिन पर मां-बाप विश्वास करते हैं कि इन्हीं स्कूलों में पढ़ कर उनका बच्चा एक न एक दिन देश की बागडोर संभालेगा। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने तो हल्के में कह दिया, कि व्यवस्था करवा दी जाएगी। लेकिन इस व्यवस्था को हल्के में ना लीजिए। क्योंकि यहां आपके बच्चे नहीं पढ़ते यहां तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। इन तस्वीरों में साफ दिखाई देता है कि कैसे सरकार हो या अधिकारी सब सो रहे हैं और देश को तरासने का काम जब ये मोटे वेतन वाले नहीं कर पाये, तो इसका जिम्मा भी बच्चों ने ही उठा लिया।