करनाल: किसानों और प्रशासन की 3 घंटे तक चली मीटिंग रही बेनतीजा, टिकैत बोले- जारी रहेगा धरना
करनाल: करनाल में प्रशासन और किसान नेताओं की बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही। बैठक में तीन दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया। प्रशासन और किसान नेताओं की यह बैठक 3 घंटे तक चली। बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसान नेता बाहर आ गए हैं। वह कल की ही मांगों को लेकर अड़े रहे, वहीं प्रशासन भी अपनी बात पर अडिग रहा। हालांकि बातचीत के दौरान डीसी और एसपी के अलावा भी कई आला अधिकारी मौजूद रहे। मगर बात बनी नहीं।
मीटिंग से बाहर आने के बाद किसान नेता राकैश टिकैत ने कहा कि प्रशासन के साथ 3 घंटे तक मीटिंग हुई, लेकिन अधिकारी उस अधिकारी (तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा) को सस्पेंड करने और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने को तैयार नहीं हैं। यहां के अधिकारी चंडीगढ़ से पूरा डायरेक्शन ले रहे हैं। इस पर हमने पर फैसला लिया है कि यहां पर धरना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस धरने पर उतर प्रदेश, पंजाब सहित अन्य जगहों से किसान यहां आते रहेंगे। टिकैत ने कहा कि दिल्ली के हमारे धरने डिस्टर्ब न हो इसके लिए एक मोर्चा यहां भी खोलेंगे।
बता दें कि प्रशासन की तरफ से न्योता मिलने के बाद राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव समेत 11 किसान नेता वार्ता के लिए पहुंचे थे। इस बातचीत में बीते कल की तरह किसान नेता अधिकारी को संस्पेंड करने पर अड़े रहे, लेकिन प्रशासन ने एक बार फिर इसे मानने से इनकार कर दिया। बीते कल भी लघु सचिवालय के घेराव से पहले प्रशासन और किसान नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। जिसमें तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा को सस्पेंड करने की मांग की गई, लेकिन सहमति नहीं बनी।
बात ने बनने पर किसान बाहर आ गए थे और फिर अनाज मंडी में चल रही महांपचायत में पहुंच कर लघु सचिवालय के घेराव का ऐलान किया। इस ऐलान के बाद किसानों ने सचिवालय के घेराव के लिए कूच कर दिया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की रखी थी, लेकिन किसान इस बैरिकेडिंग को तोड़ आगे बढ़ते गए। इस बीच नमस्ते चौक पर पुलिस ने राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और गुरनाम चढूनी सहित अन्य किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया, लेकिन युवा आंदोलनकारियों के भारी दबाव के चलते पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा। पुलिस के छोड़ने के बाद उन्होंने सचिवालय की ओर चलना शुरू कर दिय और आखिर में वह अंतिम बैरिकेडिंग तोड़ सचिवालय पहुंच गए, जहां वह गेट के बाहर धरने पर बैठ गए हैं।