लखनऊ में अफसरों की गलती का खामियाजा झेलेगा स्मार्ट सिटी का बजट, हजरतगंज में बने डिवाइडर को तोडऩे की तैयारी
लखनऊ। हजरतगंज की शान में पहले दाग लगाया और अब उसे मिटाने पर सरकारी खजाने का दस लाख रुपये मिट्टी में मिलाया जाएगा। खर्च रकम को बट्टे खाते में डालने की तैयारी है। स्मार्ट सिटी परियोजना के अफसरों के गलत निर्णय से सरकारी धन की बर्बादी होगी। जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करने से स्मार्ट सिटी परियोजना से हो रहे निर्माण को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। नगर निगम सदन में भी पार्षद उपेक्षा पर नाराजगी जता चुके हैं। अब हजरतगंज में मनमाने तरह से बनाए डिवाइडर पर अफसर कटघरे में खड़े हो गए हैं। डिवाइडर बनाने का यह काम बाइस सितंबर को इतनी तेजी से किया गया कि दो दिन में ही 150 मीटर लंबाई में आरसीसी का डिवाइडर खड़ा कर दिया गया। वैसे कुल 700 मीटर लंबाई में यह डिवाइडर बनाया जाना है, लेकिन दैनिक जागरण में अनियोजित निर्माण की खबर पर छपने पर हजरतगंज के व्यापारियों भी निर्माण के विरोध में उतर आए थे।
25 अगस्त को मंडलायुक्त रंजन कुमार ने हजरतगंज में निर्माणाधीन डिवाइडर का निरीक्षण किया था। मंडलायुक्त खुद ही स्मार्ट सिटी परियोजना के अध्यक्ष भी होते है और डिवाइडर निर्माण कराने का निर्णय उनकी अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में लिया गया था। व्यापारियों के विरोध के बाद मंडलायुक्त ने डिवाइडर का आगे का काम रोकने और डिवाइडर को स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के उपरांत तोडऩे का आदेश दिया था।
लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता (प्रांतीय खंड) मनीष वर्मा की तरफ से स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में डिवाइडर को तोडऩे का जिक्र है। पत्र में कहा गया कि हजरतगंज में निरीक्षण के दौरान स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष ने मौखिक निर्देश दिया था कि आरसीसी डिवाइडर बनाने का काम आगे न किया जाए और कराए गए कार्य को स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के उपरांत उसे तोड़वा दिया जाए। पत्र में कहा गया कि 150 मीटर में आरसीसी डिवाइडर का निर्माण होने से उसे तोड़े जाने पर 10.06 लाख रुपये की शासकीय क्षति होगी। इस क्षति को बट्टे खाते में डाला जाए।
ऊंचा बना दिया था डिवाइडर : हजरतगंज में आमने-सामने बनी दुकानों पर लोग सड़क पार कर चले जाते थे लेकिन डिवाइडर बनने का दर्द हर किसी ने झेला था। चौदह मीटर चौड़ी सड़क पर करीब सवा मीटर चौड़ा और आधा मीटर ऊंचा डिवाइडर बनाया जा रहा था, जिसे पार का दूसरी तरफ जाना आसान नहीं था। अभी तो डेढ़ सौ मीटर से घूमकर जाना पड़ रहा था लेकिन आने वाले समय में सात सौ मीटर घूमकर उस पार जाना पड़ता, जबकि पूर्व से बने हजरतगंज में आधे फिट ऊंचे डिवाइडर थे, जिस पर बीच-बीच में प्लास्टिक पाइप लगे थे। इससे कोई वाहन उधर-उधर नहीं जा सकता था पैदल चलने वालों के लिए कट भी बने थे।
हजरतगंज रामतीर्थ वार्ड के पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान को पता ही नहीं था कि उनके क्षेत्र में कोई डिवाइडर बनने जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्मार्ट सिटी परियोजना से होने वाले कार्यों को मंजूरी देने वाले बोर्ड में वह शामिल नहीं हैं। पार्षद कहते हैं कि बोर्ड की बैठक में शामिल होता तो वह डिवाइडर का विरोध करते।