रायपुर में गणेश प्रतिमाओं को घर-घर विराजित करने छलका उत्साह
रायपुर: गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के साथ सुबह से गणेश प्रतिमाओं को घर ले जाने का दौर शुरू हो गया है। सत्तीबाजार, गोलबाजार, शास्त्री बाजार, आमापारा समेत अनेक इलाकों में प्रतिमाएं महंगी होने के बावजूद लोगों की आस्था छलक रही है। प्रतिमाएं खरीदने के लिए लोग परिवार समेत पहुंच रहे हैं। प्रशासन के नियमों के चलते बिना गाजे-बाजे, ढोल, धमाल के साथ प्रतिमाओं को सादगी से जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु अपने घर ले गए। विधिवत गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। शाम को पंडालों में प्रतिमा विराजित करने धूम मचेगी।
सत्ती बाजार में स्थानीयकार के अलावा महाराष्ट्र से भी अनेक व्यापारी प्रतिमाएं बेचने आए हैं। सत्ती बजार से लेकर शदाणी चौक तक 500 से अधिक पाटों पर प्रतिमाएं बेची जा रही है। इसी तरह आमापारा में गुरु घासीदास काम्पलेक्स के सामने भी छोटी-बड़ी 300 से ज्यादा दुकानों पर प्रतिमाएं सजी हैं। गोलबाजार, शास्त्री बाजार, पुरानी बस्ती, गुढि़यारी समेत विविध मुख्य बाजारों में भी गणेश प्रतिमाएं खरीदने हुजूम उमड़ रहा है।
50 हजार से अधिक प्रतिमाएं घर-घर विराजेंगी
अश्विनी नगर, भीम नगर शिव चौक के मूर्तिकार रमेश प्रजापति नरेश प्रजापति, सुरेश प्रजापति, अवधलाल प्रजापति आदि मूर्तिकारों ने बताया कि प्राय: प्रत्येक मूर्तिकार ने 200 से 300 मूर्तियों का निर्माण किया है। उनके जैसे 200 से अधिक मूर्तिकारों की रोजीरोटी, प्रतिमाओं का निर्माण करने से चलती है। एक अनुमान के अनुसार राजधानी में ही 50 हजार से अधिक प्रतिमाएं घर-घर विराजतीं हैं। छत्तीसगढ़ से बाहर महाराष्ट्र के व्यापारी भी हजारों प्रतिमाएं लेकर आते हैं।
500 से अधिक बड़ी प्रतिमाएं
इस साल कोरोना महामारी के नियमों के चलते मूर्तिकारों ने चार फीट तक की प्रतिमाएं बनाई है। लगभग 500 पंडाल समितियों में बड़ी प्रतिमाएं विराजित की जा रहीं हैं। इसके अलावा एक से दो फीट तक की प्रतिमाएं घर-घर में विराजित की जाएगी।
तीन दिन पहले मिली आठ फीट की अनुमति
मूर्तिकार राजेश पुजारी ने बताया कि डेढ़ महीने पहले प्रशासन ने केवल चार फीट तक की प्रतिमाएं बनाने, गाइड लाइन जारी की थी। ज्यादातर मूर्तिकारों ने चार फीट तक की ही प्रतिमाएं बनाई हैं। तीन दिन पहले प्रशासन ने नई गाइड लाइन में प्रतिमा की ऊंचाई को आठ फीट करने का संशोधित आदेश जारी किया
इतने कम समय में प्रतिमाएं बनाना संभव नहीं था। जिनके पास पिछले साल की पुरानी मूर्तियां अधूरी रखी हुई थी, उन्हीं मूर्तिकारों ने मरम्मत करके आठ फीट की मूर्ति आनन-फानन में बनाई है।