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फर्जी वसीयत तैयार कर मकान अपने नाम कराने वाले को पांच साल कारावास

इंदौर। फर्जी वसीयत तैयार कर मकान अपने नाम कराने वाले को सेशन कोर्ट ने पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। आरोपित ने जिस मकान का नामांतरण अपने पक्ष में कराया था वह उसी में किराएदार था। मकान मालिक की कोई संतान नहीं थी। उनकी मृत्यु हुई तो आरोपित ने उनकी फर्जी वसीयत तैयार की और नगर निगम में मकान पर अपना नाम चढ़वा लिया था। मृतक की भतीजी को इसकी जानकारी लगी तो उसने जिला न्यायालय में परिवाद दायर कर दिया।

मामला सर्वहारा नगर के एक मकान का है। यह मकान लक्ष्मणसिंह पिता गुलाबसिंह का था। उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने इस मकान में एक कमरा आरोपित राजू पिता लल्लूसिंह को किराए पर दिया हुआ था। 13 अक्टूबर 2013 को लक्ष्मणसिंह की मृत्यु हो गई। मृत्यु से करीब छह महीने पहले उन्हें लकवा हो गया था। इसके चलते वे हस्ताक्षर नहीं कर पाते थे। लक्ष्मणसिंह की मृत्यु के बाद परदेशीपुरा में रहने वाली उनके छोटे भाई की बेटी ममता पति राजेश को खबर लगी कि किराएदार राजू ने लक्ष्मणसिंह के पूरे मकान पर कब्जा कर लिया है। उसने इसकी शिकायत परदेशीपुरा पुलिस थाने पर की।

पुलिस जांच करने हुंची तो राजू ने लक्ष्मणसिंह का वसीयतनामा सामने रख दिया। इसी वसीयतनामे के आधार पर राजू ने मकान का नामांतरण अपने पक्ष में करवा लिया था। ममता को इसकी खबर लगी तो उसने जिला न्यायालय में राजू के खिलाफ परिवाद दायर कर दिया। मामले में हस्ताक्षर विशेषज्ञ के बयान हुए। इससे स्पष्ट हुआ कि राजू ने लक्ष्मणसिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर वसीयतनामा तैयार किया था।

एजीपी संजय शुक्ला ने प्रकरण में पांच गवाहों के बयान करवाए। वसीयतनामा पर जिस गवाह के हस्ताक्षर थे उसने कोर्ट में कहा कि उसके सामने कोई वसीयतनामा तैयार नहीं हुआ था। सत्र न्यायाधीश उत्तमकुमार डार्वी ने आरोपित राजू को भादवि की धारा 420, 467, 468, 471 में पांच साल कठोर कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।