ब्रेकिंग
भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जिला या निगम की बड़ी घोषणा की उम्मीद ध्वस्त,जनमानस में निराशा सिमगा :- सोसल मिडिया में भा्रमक जानकारी प्रसारित करने पर साहू समाज एवं चंदेरी के ग्रामिण हुए नाराज ज्ञापन सौप कर की कार्यवाही की मांग मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम से क्षेत्रवासियों को थी बड़ी उम्मीद मिली निराशा ,स्थानीय नेताओं को नही मिला महत्व, सोसल मीडिया जीवी सीएम के समक्... मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम से क्षेत्रवासियों को थी बड़ी उम्मीद मिली निराशा स्थानीय नेताओं को नही मिला महत्व , सोसल मीडिया जीवी सीएम के सामन... मुख्यमंत्री अगर जनसंपर्क के लिए आये है तो उन्हें जनप्रतिनिधियों की भी बात सुननी चाहिये-शिवरतन शर्मा विधायक को जिले व अन्य मुद्दों पर बैचैन होने की जरूरत नहीं है-सुशील शर्मा मंडी अध्यक्ष सुशील शर्मा ने पोहामिलर्स व राईसमिलर्स के पदाधिकारियों सहित मिल कांटा हम्माल के सभी सदस्यों की बैठक लेकर पारिश्रमिक के संबंध विवाद को निप... शिवरतन शर्मा ने भेंट मुलाकात को लेकर मुख्यमंत्री बघेल को भाटापारा जिला बनाने की बात दिलाई याद, विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री से भेंट मुलाकात करने में भ... भाटापारा। भाटापारा ग्राम कड़ार एवं सिंगारपुर 15 मई 2023 को भेंट मुलाकात करने पहुंचेंगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बच्चों के लिए आयोजित दिव्य मुस्कान समर कैंप के समारोह में मुख्य अतिथियों के रूप में उपस्थित हुवे सुशील शर्मा

बिना छुट्टी के रोज घंटों खट रहे पुलिसकर्मी, फिर उठी साप्ताहिक अवकाश की मांग

रायपुर।  पुलिस के जवानों को साप्ताहिक अवकाश देने की सरकार की घोषणा के बाद कुछ महीने तक अवकाश तो दिया गया, लेकिन बाद में बल की कमी बताकर बंद कर दिया गया। पुलिस परिवार आंदोलन से जुड़े लोगों ने फिर से मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है। मुख्यंत्री भूपेश बघेल साप्ताहिक अवकाश बंद करने के फैसले को लेकर नाराजगी भी जता चुके हैं।

छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में लंबे समय से बल की कमी बनी हुई है। वर्तमान में रायपुर जिले में करीब तीन हजार बल है, जबकि पांच सौ बल की कमी बनी हुई है। कोरोना के फैलते संक्रमण को रोकने लाकडाउन के दौरान सात सौ से अधिक जवानों ने 12 से 14 घंटे तक बिना छुट्टी लिए ड्यूटी की है। साप्ताहिक अवकाश तो दूर, जवानों को सरकारी छुट्टियों में भी ड्यूटी करने विवश होना पड़ता है।

जवानों का कहना है कि 14 घंटे ड्यूटी करने से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन छुट्टी के दिनों में काम की क्षतिपूर्ति के रूप में साल में केवल एक माह का अलाउंस दिया जाता है, जबकि ड्यूटी एक माह से अधिक ली जाती है। अभी भी साइकिल भत्ता मिलता है, जबकि हर किसी के पास दोपहिया वाहन हैं। बाइक भत्ता दिया जा सकता है।

दिन-रात ड्यूटी कर रहे जवानों को छह घंटे की नींद भी नसीब नहीं हो पा रही है। कभी आधी रात तो तड़के ड्यूटी पर बुला लिया जाता है। कोरोना के साथ तनाव की जंग लड़ रहे जवानों को फिलहाल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

ठंडे बस्ते में साप्ताहिक अवकाश

दो साल पहले राज्य सरकार ने निरीक्षक से लेकर सिपाही तक को साप्ताहिक अवकाश देने का फैसला लिया था। शुरूआत में कुछ महीने तक छुट्टी दी भी गई, लेकिन बाद में बल की कमी बताकर विभाग के अफसरों ने यह सुविधा भी बंद कर दी।

चार राज्यों के जवानों को मिल रहा लाभ, फिर यहां क्यों नहीं?

पुलिस सुधार के लिए आंदोलन कर रहे बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव ने बताया कि घर-परिवार की चिंता छोड़कर दिन-रात की ड्यूटी करने वाले डीईएफ, सीईएफ, सहायक आरक्षक और गोपनीय सैनिकों को मिलाकर करीब 95 हजार जवानों को साप्ताहिक अवकाश का लाभ नहीं मिल रहा है।

जब मेघालय, दमन दीव, गुजरात और मध्यप्रदेश में पुलिस जवानों को छुट्टी मिल रही है, तो बल की कमी बताकर सूबे के सभी जिलों में यह सुविधा क्यों बंद की गई है। विभाग चाहे तो रोटेशन के आधार पर अवकाश दे सकता है। पुलिस परिवार की अन्य लंबित मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है। उन्होंने जल्द ही निराकरण करने का आश्वासन दिया है।