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सामूहिक दुष्कर्म मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति दोषी करार, पीड़िता के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने का आदेश

लखनऊ। सामुहिक दुष्कर्म के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को दोषी करार दिया गया है। गायत्री के अलावा दो अन्य अभियुक्त आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। इस बहुचर्चित मामले में गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों को आइपीसी की धारा 376 डी व पाक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत दोषी पाया गया है। इसमें आइपीसी की धारा के तहत 20 साल से उम्र कैद, जबकि पाक्सो की उक्त धारा के तहत मृत्यु दंड तक की सजा का भी प्रावधान है। विशेष जज पवन कुमार राय ने तीनों अभियुक्तों की सजा के बिंदू पर सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है। विशेष जज ने इस मामले के चार अन्य अभियुक्त गायत्री के गनर रहे चंद्रपाल, पीआरओ रुपेश्वर उर्फ रुपेश व एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के बेटे विकास वर्मा तथा अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

पीड़िता व गवाह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का भी आदेशः विशेष जज ने इस मामले में झूठी गवाही देने व सबूत छिपाने के मसले का भी संज्ञान लिया है। उन्होंने इस मामले की एफआइआर दर्ज कराने वाली पीड़िता के साथ ही गवाह रामसिंह राजपूत व अंशू गौड़ के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश पुलिस आयुक्त को दिया है। बुधवार को अदालत के समक्ष गायत्री समेत सभी अभियुक्त जेल से उपस्थित थे।

सातों अभियुक्तों पर तय हुआ था आरोपः 18 जुलाई, 2017 को पाक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी सात अभियुक्त विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रुपेश्वर के खिलाफ आइपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था। साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पाक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत भी आरोप तय किया था। इसके बाद इस मामले की सुनवाई प्रयागराज में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में होने लगी। 13 दिसंबर, 2019 को इस मामले की सुनवाई लखनऊ में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई थी। तीन जून, 2017 को इस मामले के विवेचक व सीओ चौक राधेश्याम राय ने गायत्री समेत सभी अभियुक्तों के खिलाफ 824 पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया था।

ये है मामलाः 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में सामुहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीडि़ता की अर्जी पर दिया था। पीडि़ता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। विवेचना के दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।