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संदिग्ध खातों में आरटीई की रकम, तमाशबीन बने अफसर

रायपुर।  शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति के मामले में हुए घोटाले में अफसर तमाशबीन बन बैठे हैं। आरटीई की राशि से 76 लाख स्र्पये जिन संदिग्ध खातों में भेजे गए थे उनमें ज्यादातर के खातों में अभी तक रकम पड़ी हुई है।

स्कूल शिक्षा के अफसर मामले में त्वरित कार्रवाई करने की बजाय जांच का हवाला देकर मामले की लीपापोती में लग गए हैं। आलम यह है कि 19 फरवरी को समग्र शिक्षा के संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मामले में 15 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी थी लेकिन अभी तक पूछताछ ही चल रही है।

सूत्रों की मानें तो पूरे मामले की लीपापोती करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी लगे हुए हैं। जानकारी मिली है कि रकम वापसी कराकर पूरे मामले में लीपापोती करने की तैयारी है। एक तरफ रायपुर के नगर निगम में वेतन घोटाले के मामले में सात आरोपितों की पुलिस तलाश कर रही है।

इसके लिए पूरा अमला लगा हुआ है दूसरी तरफ सरकारी राशि के साथ हेराफेरी होने के बाद स्कूल शिक्षा के जिम्मेदारों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। गौरतलब है कि 28 जनवरी 2021 को डीईओ कार्यालय से आठ निजी स्कूलों को आरटीई की राशि का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किया गया है।

इनमें ज्यादातर स्कूल दो से पांच साल पहले ही बंद हो चुके हैं। जिन स्कूलों को लाखों की राशि दी गई है, वहां आरटीई के एक भी बच्चे नहीं पढ़ रहे हैं, न ही कोई रकम ही बकाया थी। पता चला कि ये राशि इन संस्थाओं के खाते में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत खाते में डाली गई है, जबकि राशि संस्थाओं के खाते में ही भेजने का प्रावधान है।

प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद भी खामोश सचिव

प्रारंभिक रिपोर्ट में ही संयुक्त संचालक रायपुर ने लोक शिक्षण संचालनालय को रिपोर्ट भेजकर प्रथम दृष्टया गड़बड़ी की बात स्वीकारी थी। इसके बाद संचालनालय ने 26 फरवरी 2021 को स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को रिपोर्ट भेजकर पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को दोषी करार दिया है।

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि गलत तरीके से आरटीई की राशि का भुगतान करना पाया गया है। इसके बाद बाद भी सचिवालय ने चुप्पी साध रखी है। मामले में स्कूल शिक्षा के सचिव आशीष भट्ट से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।

राशि वापस करके भ्रष्टाचार को दबाने में लगे अफसर

बतादें कि आरटीई में घोटाले के तहत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के खाते में केवल 10 लाख रुपये ही वापस हो पाए हैं। बाकी रकम अभी भी संदिग्ध खातेदारों के पास हैं। जिन लोगों के खाते में रकम भेजी गई थी, उनमें सात साल से बंद सृष्टि पब्लिक स्कूल के नाम पर उपेंद्र चंद्राकर को 21 लाख 38 हजार 367, सरस्वती शिशु मंदिर बेलदारसिवनी के नाम पर चंद्रिका अनंत के खाते में 9 लाख 80 हजार 578 स्र्पये रकम जारी हुए थे।

बाकी खातेदारों में ब्रृजेश कुमार पटेल, चंद्रकिशोर देवांगन, नीलेश्वर का नाम शामिल है। डीईओ कार्यालय के सहायक संचालक और बाबू से पूछताछ में पता चला है कि इस पूरे मामले में पूर्व डीईओ जीआर चंद्राकर ने आरटीई का कार्यभार संभाल रहे सेक्शन अधिकारी और बाबू से बगैर कोई नोटशीट के ही भुगतान कराया था। 28 जनवरी 2021 को डीईओ के खाते में 77 लाख 97 हजार 55 रुपये थे।

मामले में 29 जनवरी को 76 लाख 42 हजार 203 स्र्पये आठ निजी स्कूलों के नाम पर भेज दिया गया। मामले में डीईओ कार्यालय में इन रुपयों को जारी करने के लिए नोटशीट ही नहीं चलाई गई। यूको बैंक के सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में 30 जनवरी को सृष्टि पब्लिक स्कूल और सरस्वती शिशु मंदिर के नाम पर जो भुगतान हुआ है उसके खातेदारों के नाम पर तीन बार बदले गए थे। दो बार खाते में रकम नहीं जाने के बाद पूर्व डीईओ नए खातों को जुड़वाया था। इसके बाद यह रकम संदिग्ध खातेदारों को भेजी गई थी।

पूछताछ चल रही है

‘आरटीई की राशि के मामले में उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार जांच की जा रही है। प्रक्रिया में अभी पूछताछ की जा रही है। जांच करने के बाद रिपोर्ट भेजी जाएगी।’

– संजीव श्रीवास्तव, संयुक्त संचालक, समग्र शिक्षा एवं जांच अधिकारी

राशि कितनी जमा है जानकारी लेंगे

‘हमने प्रारंभिक जांच की थी। मामले में आरटीई की कितनी राशि जमा हो पाई है और बाकी राशि कहां है इसकी जानकारी डीईओ से लेंगे।’

– एस के भारद्वाज, संयुक्त संचालक, रायपुर संभाग