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ईदगाह हिल्स पर बसे लोगों को जमीन का मालिकाना हक पाने करना होगा ऑनलाइन आवेदन, लेकिन कहां करें पता नहीं

भोपाल। राजधानी भोपाल में ईदगाह हिल्स की 600 एकड़ जमीन को 2001 में तत्कालीन कलेक्टर अनुराग जैन ने सरकारी घोषित कर दिया था। इसके बाद से यहां बसे लोग मालिकाना हक पाने के लिए दर-दर भटक रहे है। इनकी परेशानियों को हल करने के लिए सरकार ने सर्वे कराकर मालिकाना हक देने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के आदेश जारी किए, लेकिन आवेदन करना कहां है, यह अब तक नहीं बताया। लिहाजा यहां बसे हजारों लोग जमीन के मालिकाना हक के लिए अब भी यहां-वहां भटक रहे हैं।

दरअसल, मर्जर का मर्ज पहले ही खत्म हो चुका है। अब ईदगाह ड्योढ़ी की जमीन को लेकर बीते 18 वर्षों से चला आ रहा विवाद भी जल्द ही खत्म हो सकता है। राज्य सरकार को ईदगाह ड्योढ़ी की 600.83 एकड़ भूमि पर बसे लोगों के सभी मकानों और दुकानों का नियमितीकरण नहीं करना है, बल्कि 172.59 एकड़ जमीन पर बने 1109 मकानों व प्लॉटों के मालिकों को ही नजूल पट्टे देकर नियमित कर सकता है। इससे पूरा विवाद खत्म हो जाएगा। यह खुलासा ईदगाह ड्योढ़ी की 600.83 एकड़ जमीन पर बसे लोगों की सर्वे रिपोर्ट से हो रहा है, जो कि राज्य शासन को भेज दी गई है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2001 में सरकारी घोषित की गई ईदगाह ड्योढ़ी की 600.83 एकड़ भूमि में से 172.59 एकड़ जमीन का ही निजी उपयोग हो रहा है। इस जमीन पर बनी कॉलोनियों में कुल 1109 लोगों के मकान और खाली प्लॉट हैं। इन सभी लोगों ने ईदगाह ड्योढ़ी की जमीन सरकारी घोषित होने से पहले ही प्लॉट ओर मकान खरीदे थे। उनके पास वैध दस्तावेज के रूप में रजिस्ट्रियां हैं।

बैरागढ़ सर्कल की रिपोर्ट – 90 एकड़ पर बनी हैं निजी कॉलोनियां, 60 एकड़ में रोड और पार्क

बैरागढ़ सर्कल ने अपने दायरे में आ रही ईदगाह ड्योढ़ी की 556.46 एकड़ जमीन पर बसे लोगों की तैयार की गई सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि ईदगाह ड्योढ़ी में निजी उपयोग वाली 150 एकड़ जमीन में से 90 एकड़ पर ही निजी कॉलोनियां बनी हैं। इसमें 749 मकान बने हुए हैं, जबकि 288 प्लॉट खाली पड़े हुए हैं। इस तरह कुल 1037 लोगों के मकान और प्लॉट हैं। बची हुई 60 एकड़ जमीन का उपयोग रोड, पार्क और अन्य कामों में हो रहा है। इसमें से कुछ मकानों का स्कूल सहित अन्य कार्यों के लिए कॉमर्शियल उपयोग हो रहा है। ईदगाह ड्योढ़ी पर जितने भी मकान बने हैं, इसमें से अधिकतर के पास मकान बनाने की अनुमतियां भी हैं।

शहर सर्कल की रिपोर्ट – 22.59 एकड़ जमीन पर बने हैं 72 मकान

इधर शहर सर्कल के दायरे में आ रही 44.37 एकड़ जमीन की सर्वे रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमें से 22.59 एकड़ जमीन में 72 मकान बने हैं। इनके मालिकों के पास रजिस्ट्रियों से लेकर नजूल एनओसी, टीएंडसीपी से नक्शे व नगर निगम से भवन निर्माण की अनुमतियां हैं। बची हुई 21.79 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। इसमें से कुछ जमीन का उपयोग रास्ते, पार्क आदि के रूप में हो रहा है।

427.15 एकड़ जमीन है सरकारी –

ईदगाह ड्योढ़ी की जमीन के सर्वे की रिपोर्ट ने सभी को चौँका दिया है। 600.83 एकड़ में से 427.15 एकड़ जमीन सरकारी निकली है, जो कि शासन ने ही विभिन्न समितियों व लोगों को आवंटित की गई है या फिर खाली पड़ी है। वर्तमान में इसमें से 86.80 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। इसमें से 10 कॉलोनियों, सोसायटियों, नगर निगम, अस्पताल, मिलिट्री आदि की 64.81 एकड़ जमीन हैं।

इन कॉलोनियों व सोसायटी में खाली पड़ी है जमीन – सार्वजनिक गृह निर्माण समिति, वेंकटेश सोसायटी, पार्किंग ईदगाह, रितु गृह निर्माण सोसायटी, रिलायबल कॉलोनी, मसूद अली, मौलाना आजाद गृह निर्माण समिति (दो जगह दी जमीन), टीबी हॉस्पिटल तथा मिलिट्री। मिलिट्री वालों ने 8 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है।

इनको दी गई हैं जमीनें –

मिलिट्री विभाग – 125.96 एकड़

टीबी हॉस्पिटल – 94.39 एकड़

अल्प आय कर्मचारी गृह निर्माण समितियों को – 68.59 एकड़

राम नगर में शासकीय भवनों के निर्माण के लिए – 19.74 एकड़

झुग्गी बस्ती व अन्य निर्माण – 29.06 एकड़

प्रीमियम और भू-भाटक लेकर किया जा सकता है नियमित –

राज्य शासन को भेजी गई रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने सुझाव दिया है कि सभी 1109 मकान और प्लॉटों का नियमितीकरण नजूल पट्टे बांटकर किया जा सकता है। इस पट्टे को देने के लिए भूमि स्वामी से वर्तमान गाइडलाइन के अनुसार प्रीमियम और भू-भाटक जमा कराना होगा। यह राशि वर्ष 2001 से वर्तमान तक की जमा करानी होगी।