मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की व्यवस्था में संक्रमण
इंदौर। कोरोना मरीजों की किस्मत में इस समय हर स्तर पर केवल इंतजार ही इंतजार है। इलाज के इंतजार में मौत भी आ जाए तो कोई ज्यादा कुछ नहीं कर सकेगा। न तो सैंपल समय पर हो रहे हैं, सैंपल ले भी लिए तो लैब तक समय पर नहीं पहुंच रहे। लैब पर पहुंच भी गए तो यहां इतना भार है कि जांच और रिपोर्ट में ही पांच-छह दिन लग रहे हैं। इस बीच कोई मरीज गंभीर हो जाए तो उसे अस्पताल में सही इलाज मिल जाए इसकी भी कोई गारंटी नहीं। क्योंकि अस्पतालों में आक्सीजन नहीं मिल पा रही है और रेमडेसिविर…? यह तो संजीवनी बूटी की तरह रसूख के ‘द्रोणागिरी पर्वत’ पर भी मिल जाए तो किस्मत
यह हालात इसलिए बने हैं कि कोरोना के भयावह संक्रमण के सामने सरकारी और प्रशासनिक व्यवस्था पस्त हो चुकी है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक कोरोना मरीज इस समय इंदौर में हैं। इसके साथ ही इंदौर पर चारों तरफ से अन्य जिलों का भी बोझ है। यहां के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज पर इंदौर संभाग के आठों जिलों से हर दिन 5500 से अधिक सैंपल आ रहे हैं। पर एमजीएम मेडिकल कालेज की लैब में हर दिन करीब 2200 सैंपल की ही जांच हो पा रही है। वह भी समय पर नहीं हो रही है। बचे हुए सैंपल सुपराटेक लैब अहमदाबाद और कृष्णा लैब पूना को भेजे जा रहे हैं। दूसरी तरफ आक्सीजन प्लांटों पर निगरानी के लिए अधिकारी रात-दिन लगे हुए हैं, लेकिन इनमें एक सीमा तक ही उत्पादन हो रहा है। हालत में शुक्रवार को भी खास सुधार नहीं आया। रेमडेसिविर का स्टाक शुक्रवार को खत्म हो गया, केवल प्रशासनिक व्यवस्था के तहत ही शासकीय अस्पतालों में कुछ इंजेक्शन गंभीर मरीजों के लिए उपलब्ध कराए गए।
24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा, दिन में दो बार सैंपल बुलवाए
सैंपल की जांच और रिपोर्ट में देरी को देखते हुए कमिश्नर डा. पवन शर्मा ने शासकीय और अनुबंधित निजी लैब संचालकों को निर्देश दिए कि वे 24 घंटे में रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। इस मामले में कमिश्नर ने शुक्रवार को स्वास्थ्य अधिकारियों, एमजीएम शासकीय मेडिकल कालेज और निजी लैब संचालकों की बैठक भी ली। बताया जाता है कि संभाग और आसपास के जिलों से अब दिन में दो बार इंदौर लैब तक सैंपल बुलवाए गए हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को अब सुबह लिए गए सैंपल दोपहर दो बजे और शाम पांच बजे तक लिए गए सैंपल रात आठ बजे तक इंदौर लैब में भिजवाने होंगे।
हमने सैंपल की जांच कर 24 से 36 घंटे में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। कई बार सैंपल के परिवहन में समय लगता है। साथ ही जांच के बाद रिपोर्ट सीएमएचओ के पास तो पहुंच जाती है, लेकिन पोर्टल पर नहीं चढ़ पाती। इस कारण मरीज के पास भी देरी से पहुंच पाती है। हमारी प्राथमिकता पाजिटिव रिपोर्ट को लेकर है, इसलिए मरीज की रिपोर्ट पाजिटिव होगी तो तुरंत उसको भेजी जाती है। फिर भी कहीं कोई परेशानी होगी तो हम प्रक्रिया को जांचेंगे। – डा. पवन शर्मा, कमिश्नर