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विकास दुबे के अंत के बाद बिकरू में मुस्कराया लोकतंत्र, निडर होकर डाले गए वोट

कानपुर।  सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद देश-दुनिया में चर्चा में आए बिकरू और पड़ोसी गांव भीटी में गुरुवार को लोकतंत्र का सूर्योदय हुआ। बिकरू में 25 तो भीटी में 15 वर्ष साल बाद मतदाताओं में उल्लास दिखा। वह मनपसंद प्रधान चुनने के लिए मतदान करने पहुंचे। इससे पहले यहां कुख्यात विकास दुबे की दहशत में निर्विरोध प्रधान चुने जाते थे लेकिन विकास और उसके गैैंग के सफाए के बाद लोग बेखौफ होकर मतदान केंद्र पहुंचे और 10 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला मतपेटी में लॉक किया।

बिकरू में कुख्यात ने दो बार छोटे भाई की पत्नी अंजलि दुबे तथा दो बार सीट आरक्षित होने पर करीबी को प्रधान बनाया। वहीं भीटी से भाई अविनाश दुबे के बाद करीबी जिलेदार को निर्विरोध प्रधान बनाता रहा। बिकरू कांड के बाद उसके मारे जाने के बाद आतंक का राज खत्म हो गया। अरसे से निष्पक्ष मतदान का इंतजार कर रहे लोग गुरुवार सुबह मतदान शुरू होते ही बिकरू गांव के प्राथमिक विद्यालय में कतारबद्ध हो गए। महिलाएं बुजुर्ग और युवा मताधिकार के इस्तेमाल लिए उत्साहित थे। पुलिस के आला अधिकारी खासे सतर्क रहे, हालांकि माहौल पूरी तरह शांत रहा। वोट डालने के लिए पहुंची रेखा व उमाशंकर ने कहा कि कुख्यात का डर खत्म हो चुका है। अब स्वतंत्र मतदान होगा।

फरमान सुना दिया जाता था फलां भरेंगे प्रधान का पर्चा: 80 वर्षीय राधेश्याम कहते हैं कि बहुत दिन बाद प्रधान चुन रहे हैं पहले तो बस फरमान सुना दिया जाता था कि फलां प्रधान का पर्चा भरेंगे। 65 वर्षीय रामश्री व मुक्ता देवी लाठी का सहारा लेकर बूथ पर पहुंचीं और बोलीं कि अबकी गांव के लोग वोट डाल रहे हैं।

भीटी में भी दहशत में थे मतदाता: भीटी गांव में भी विकास की हुकूमत चलती थी। उसकी हनक के चलते मतदान केंद्र हमेशा मजरा सज्जा निवादा ही रहा। भीटी में निर्विरोध प्रधान बनने के कारण यहां पर भी वोट नहीं पडते थे। यहां से शहनाज, मीरा देवी, विजय लक्ष्मी सहित आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। वोट डालने पहुंची गांव की रामकुमारी, सलमा ने कहा कि कई साल बाद बेखौफ मतदान किया। बुजुर्ग रामसहाय व शहजादे बोले-गांव में उत्साह का आलम है।