नीलबड़ के रहवासी क्षेत्र में शव जलाने का विरोध, महिलाओं ने किया प्रदर्शन
भोपाल। राजधानी भोपाल में कोरोना संक्रमण की बेकाबू रफ्तार में मौतों का आंकड़ा बढ़ने के साथ विश्राम घाटों पर भी हालात भयावह हो चले हैं। श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड जाने के कारण अब नौबत यहां तक आ गई है कि रहवासी क्षेत्र में ही अघोषित शमशान बनाकर शव जलाने का सिलसिला जारी हो गया है। नीलबड के हरिनगर में ऐसे ही कॉलोनियों के बीच एक चबूतरा बनाकर शवों जलाया जा रहा है। इसका विरोध शनिवार को यहां आसपास बनी कॉलोनियों में रहने वाली महिलाओं व पुरुषों ने किया। इस संबंध में गांव के लोगों का कहना है कि यह पुराना मरघट है, जहां पहले शव जलाए जाते थे। अब यहां कॉलोनी बन गई है।
इधर, प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि कॉलोनी के बीच चौराहे में शव जलाना उचित नहीं है। कोविड संक्रमित का शव भी जलाया जा रहा है। इससे सभी को संक्रमण का खतरा है। बता दें कि पिछले साल भी इस तरह की घटना सामने आई थी। इसके बाद प्रशासन ने यह चतूबरा तोड दिया था। इसके बावजूद यहां लोगों ने दोबारा चबूतरा बना दिया और शवों का अंतिम संस्कार करने लगे है।
बता दें कि भोपाल के विश्राम घाटों में पिछले तीन-चार दिनों से रोज लगभग 100 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। शनिवार को भोपाल शहर में 92 लोगों के शवों का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया। सबसे ज्यादा 64 देह का अंतिम संस्कार भदभदा श्मशान घाट में किया गया है। वहीं सुभाष नगर विश्राम घाट में 22 संक्रमित देह का अंतिम संस्कार हुआ। झदा कब्रस्तान में छह शवों को सुपुर्द ए खाक किया गया। शुक्रवार को भोपाल में 118 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था।