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‘BJP का आंदोलन राजनीतिक नौटंकी’ : भाजपा के आंदोलन को जनता ने नकारा, छत्तीसगढ़ में खत्म हो चुकी BJP, ट्रैफिक से पब्लिक हुई परेशान- कांग्रेस

रायपुर। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के जेल भरो आंदोलन को राजनीतिक नौटंकी बताया है. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के आंदोलन को जनता ने नकार दिया. जनता भाजपा की इस राजनैतिक हठ धर्मिता के कारण ट्रैफिक जाम से परेशान होती रही. भाजपा के इस असफल आंदोलन से एक बात साफ हो गयी कि छत्तीसगढ़ में खत्म हो चुकी. भाजपा आंदोलन करना तो चाहती है, लेकिन उसके पास कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुद्दे नहीं बचे हैं. इसीलिए वह जनता को गुमराह करने काल्पनिक मुद्दे पर आंदोलन करने को बाध्य हुई.

हास्यास्पद तो यह रहा कि रायपुर में बूढ़ा तालाब में धरना स्थल की सीमा 500 करने का भाजपा विरोध कर रही थी. पूरी ताकत लगाने के बाद भी भाजपाई 500 लोगों की गिरफ्तारी नहीं दे पाए. प्रदेश के दूसरे जिलों में भाजपा के लोग 100 -150 लोगों की गिरफ्तारी दे पाए. प्रदेश के आधे जिलों में भाजपा प्रदर्शन ही नहीं कर पाई.

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जिस नियम का 15 साल तक भाजपा पालन करवाती थी. विपक्ष में उसे बेशर्मी पूर्वक अलोकतांत्रिक बता रही है. भाजपा के पास किसान, मजदूर ,युवा ,एससी, विकास के काम रोजगार जैसे जनसरोकारों के मुद्दे कांग्रेस राज में नहीं बचे है. भूपेश सरकार से प्रदेश का हर तबका खुश है.

मजबूरी में भाजपा ऐसे नियम की आड़ पर आंदोलन की नौटंकी कर रही है, जो नियम भाजपा सरकार के समय से छत्तीसगढ़ में लागू है. भाजपा धरना प्रदर्शन के लिए अनुमति लेने की अनिवार्यता का विरोध कर रही, जबकि धरना प्रदर्शन आयोजन के लिए पूर्व अनुमति लेने का नियम भाजपा सरकार के समय से है.

भाजपा की रमन सरकार ने राजनैतिक प्रदर्शन के अलावा धार्मिक और निजी मांगलिक कार्यक्रमों की अनुमति लेने का नियम बनाया हुआ था. रमन राज में अखंड रामायण और बारात निकालने की परमीशन लेने का नियम था. भाजपा सरकार इन आयोजनों की अनुमति 17 से ले कर 23 बिंदुओं के शर्तों के साथ देती थी.

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा धरना स्थल परिवर्तन का विरोध कर रही, जबकि पुराना धरना स्थल यथावत है केवल बड़े आंदोलनों के लिए वैकल्पिक स्थान निर्धारित किया गया है. छोटे आंदोलन आज भी बूढ़ातालाब धरना स्थल पर होंगे.

यह निर्णय शहर की जनता को धरना आदि के कारण ट्रैफिक जाम की तकलीफों को देखते हुए लिया गया है. भाजपा सरकार ने भी जय स्तम्भ नगर घड़ी कलेक्टर राजभवन आदि में आंदोलन में प्रतिबंध इसीलिए लगाया था.

कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रदर्शन, आंदोलन, आयोजन की अनुमति के लिए शर्तों के साथ अनुमति नियम भी भाजपा ने बनाया 15 साल पालन भी किया. अब विरोध भी कर रहे यह है, भाजपा का दोहरा चरित्र.

भाजपा जिस नियमों के पालन के जारी निर्देश पर सवाल खड़ा कर आंदोलन कर जनता में भ्रम फैला रही है, उन नियमों को खुद रमन सरकार के द्वारा पालन करवाया जाता था. राजनैतिक, सामाजिक, कर्मचारी वर्ग के द्वारा धरना प्रदर्शन के लिये जो अनुमति दी गयी है, उसको उन्हीं नियमों शर्तों के साथ दी गई है, जो 22.04.2022 को हमारी सरकार के द्वारा जारी निर्देश में है.

श्याम प्रचार सेवा समिति के आवेदन पर 23/12/2017 से 24/12/2017 तक श्याम महोत्सव के कार्यक्रम की अनुमति के लिए 23 बिंदुओं की शर्त लगाए गए. यह आदेश 14/12/2017 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रायपुर शहर द्वारा जारी किया गया था.ईश्वरी साहू प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सहकारी संघ को 23/12/2017 को धरना प्रदर्शन की अनुमति विजय अग्रवाल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा 13/12/2017 को जारी किया गया उसमें भी 19 शर्ते लगाई गई.अशरफ हुसैन युवा कांग्रेस, महासचिव द्वारा मांगे गये रैली की अनुमति दिनांक 18/07/2018 के संबंध में भी 17 बिंदु की शर्तें जोड़ी गयी.विकास उपाध्याय शहर अध्यक्ष रायपुर के द्वारा विधानसभा की ओर जाने की अनुमति भी दिनांक 3/7/2018 के लिये अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल ठाकुर द्वारा भी 17 बिंदुओं के शर्तों के साथ जारी किया गया.इसी प्रकार भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार के तरफ से सभी पुलिस अधीक्षक और जिलाधीशों को निर्देश दिया है, जिसमें उनके द्वारा धरना प्रदर्शन के लिये 9 बिंदु जारी कर उनका पालन सुनिश्चित करवाने को कहा गया है.साथ ही वहां पर भी अनुमति के पूर्व शपथ पत्र और सुप्रीम कोर्ट के आदेश और उनका पालन नहीं करने पर माननीय न्यायालय की अवमानना जैसे शब्दों का भी उल्लेख है.ऐसा ही सर्कुलर दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा 28.3.12 को जारी किया गया, जिसे 19.1.20 से फिर यथावत रखा गया है, जिसमें भी धरना प्रदर्शन, आंदोलन के आयोजन के लिये अनुमति का प्रावधान है. जिसमें अनुमति देने के पूर्व 21 बिंदुओं का अंग्रेजी में शपथ पत्र भरवाया जाता है. दिल्ली पुलिस तो भाजपा की केंद्र सरकार के अधीन है.गुजरात में हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के सचिव महेश राजपूत के द्वारा आयोजित बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि के खिलाफ धरने को राजकोट में इसलिये बंद करवा दिया गया क्योंकि उन्होंने अनुमति नहीं लिया था.जो नियम यूपी में लागू है, जो नियम दिल्ली में लागू है, जो नियम गुजरात में लागू है, लगभग देशभर में लागू है. उसी नियम के लिये छत्तीसगढ़ में जारी निर्देश पर भाजपाई बेशर्मीपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं.