छोटे जिलों में बंद वेंटिलेटर से उखड़ रही मरीजों की सांसें
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना से लड़ाई में वेंटिलेटर की कमी से मरीजों की सांसें उखड़ रही है। छोटे जिलों में सरकार की ओर से वेंटिलेटर तो उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन वह अब तक चालू नहीं हो पाए हैं। हाल यह है कि कवर्धा, बेमेतरा से लेकर बस्तर के आदिवासी बाहुल जिलों में जिन मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत हो रही है, उसे बचाने में स्वास्थ्य विभाग असफल हो रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के गृह जिले और मंत्री मोहम्मद अकबर के विधानसभा कवर्धा में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां अस्पताल में सात वेंटिलेटर है, लेकिन एक भी काम नहीं कर रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि कवर्धा में अब तक 128 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से 35 फीसद मरीज वेंटिलेटर नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवा दिए।
कवर्धा कलेक्टर रमेश शर्मा की मानें तो जिले के सात वेंटिलेटर में से चार को सोमवार से आरंभ किया गया। जिले से एक टीम बनाकर वेंटिलेटर की ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजा गया था, जो लौट चुके हैं। आज एक मरीज को वेंटिलेटर लगाया गया है। जल्द ही बाकी वेंटिलेटर चालू कर लिया जाएगा। यही हाल बेमेतरा का है। यहां भी वेंटिलेटर की स्थिति निराशाजनक है।
बेमेतरा में 14,286 पाजिटिव मरीज आए, जिसमें से 120 की मौत हो गई। बलौदाबाजार में आठ, धमतरी में 11, रायगढ़ में 76 वेंटिलेटर है, जिसमें से सभी चालू हालत में है। कोंडागांव में छह वेंटिलेटर है। बिलासपुर में 114 वेंटिलेटर है, जिसमें से एक भी खाली नहीं है। बस्तर में कोविड मरीजों के लिए आक्सीजन बेड 245, वेंटिलेटर- 19 और आइसीयू 27 है। बस्तर जिले के लिए 15 वेंटिलेटर की खरीदी प्रकिया चल रही है।
इसके बाद कोविड मरीजों के लिए 34 वेंटिलेटर हो जाएंगे। मुंगेली के रामगढ़ स्थित 100 बिस्तर डेडिकेटेड कोविड हास्पिटल में 11 वेंटिलेटर है, जिसमें सभी चालू हैं। 36 आक्सीजन युक्त बेड है। इसमें वेंटिलेटर के सभी बेड भरे हुए हैं। इसके अलावा 64 बेड बिना आक्सीजन सपोर्ट के है वो भी भरे हुए हैं एवं सभी आक्सीजन बेड फूल है।